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तुलसी शब्द-कोश
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रामायुध : (१) धनुष-बाण । (२) धनुष बाण के रेखाचित्र (जो रामानन्दी
वैष्णव अपने शरीर आदि पर अङिकत कराते हैं)। 'रामायुध अंकित गृह ।'
मा० ५.५ रामु, मू: राम+कए । रामु सहज आनंद निधान ।' मा० २.४१.५; १.२६६ रामेस्वर : सं००० (सं० रामेश्वर) । समुद्र तट पर रामचन्द्र द्वारा स्थापित शिव । ___ मा० ६.३.१ राम : रामहि । राम के । 'दूसरो न देखतु साहिब सम राम ।' गी० ५.२५.१ राय : राजा ने । 'तबहिं राय प्रिय नारि बोलाई।' मा० १.१६०.१ राय : (क) सं०० (सं० राजन् >प्रा० राया) । (१) राजा । 'राय रजायसु सब
कहें नीका।' मा० २.१८१.३ (२) (समासान्त में) राजा । 'कोसलराय' । मा० २.१३५ (३) (समासान्त में) श्रेष्ठ । 'मुनिराय' । मा० २.१२६.१ 'धनुधर-राय ।' गी० २.२८.४ (४) राव सामन्त । 'ऊँचे नीचे बीच के धनिक रंक राजा राय ।' कवि० ७.१७५ (ख) सं०स्त्री० (सं० रै-राय:)
धन । रंकन्ह राय रासि जनु लूटी।' मा० २.११७.८ रायमुनी : सं०स्त्री०ब० । ललमुनिया = लाल रंग की विशेष चिड़ियाँ। मा०.
६.१०३ छं० राया : (१) राय । राजा । मा० १.१६९.४ (२) स्वामी । 'बोले बिहसि चराचर
राया।' मा० १.१२८.६ रारि, री : सं०स्त्री० (सं० राटि>प्रा. राडि, राडी)। युद्ध, कलह । 'तो न
बढ़ाइअ रारि।' मा० ६.६; १.४२.५ राव : राउ । राजा या सामन्त । 'रंकहू को रावहू को सुलभ ।' विन० २५५.२ रावन : सं०० (सं० रावण) । लङ केश्वर, दशग्रीव। मा० १.७६ रावनारि, रो : (सं० रावणारि) रावण के शत्रु राम । मा० ३.४६ क रावनु : रावन+कए० । 'भयउ रोष रन रावन मारा।' मा० १.४६.८ रावनो : (१) रावनु । 'सबिषाद कहै रावनो।' कवि० ५.६ (२) रावण भी।
'अकुलाइ उठो रावनो।' कवि० ५.८ रावरि, री : (दे० राउर) वि०स्त्री०। आपकी । 'रघुबर रावरि यहै बड़ाई।'
विन० १६५.१, मा० १.२६ रावरिय, रीऐ, रीये : आपकी ही। 'मेरे रावरिय गति ।' विन० १५३.१ 'आस
रावरीय दास रावरो बिचारिय।' हनु० २१ रावरें : आपके से। 'संबंध राजन रावरें हम बड़े अब सब बिधि भए।' मा०
१.३२६ छं० २ राघरे : (दे० राउर)। (१) आपके । 'साँवरे से सखि रावरे को हैं ।' कवि.
२.२१ (२) आप लोग । 'बावरे ही रावरे ।' कवि० ५.८
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