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तुलसी शब्द-कोश
परन : (१) भकृ० अव्यय । गिरने । 'जहें तह लगे महि परन।' मा० ३.२०.६
(२) डाले जाने । 'सादर लगे परन पनवारे ।' मा० १.३२८.८ (३) सं००
(सं० पर्ण) । पत्ता, पत्ते । 'तह रचि रुचिर परन तन साला।' मा० २.१२६.६ परनकुटी : (सं० पर्णकुटी) । पत्तों से छायी-बनायी कुटी । मा० २.१०४.५ परनकुटीर, रा : परनकुटी। मा० २.३२१ परनगृह : (सं० पर्णगृह) पत्तों का घर=पर्णकुटी । मा० ३.१३ परनसाल : (सं० पर्णशाला) पर्णकुटी। मा० २.६५ परना : परन । पत्ते । 'पुनि परिहरे सुखानेउ परना।' मा० १.७४.७ परनामा : प्रनाम । मा० १.१४.४ परनारि, री : पर-स्त्री, परकीया। मा० १.२३१६; ६.३०.६ परनिंदक : दूसरों की निन्दा करने वाला । मा० ७.१०२ छं० परनि : सं०स्त्री० । पड़ने की क्रिया, गिरना । 'उठि चलनि गिरि गिरि परनि।'
गी० १.२८.२ परपंचु : प्रपंच । भौतिक सृष्टि । 'रचइ परपंच बिधाता।' मा० २.२३२.५ परपति : उपपति, अन्य स्त्री का पति । मा० ३.५.१३-१६ परपुर : (१) पराया नगर । 'हँसी करैहहु पर-पुर जाई ।' मा० १.६३.१ (२) शत्रु ___ का नगर । 'निपट निसंक परपुर गलवल भो।' हनु०६ परबंचनता : सं०स्त्री० । दूसरे को धोखा देने का कर्म । मा० ७.१०२.११ परब : सं०० (सं० पर्वन्) । (१) शुभ तिथि आदि। 'परब जोग जनु जुरे
समाजा ।' मा० १.४१.७ (२) पूर्णिमा तिथि । 'सरद परब बिधु ।' मा० २.११५ (३) अमावस्या तिथि । 'भयउ परब बिनु रबि उपरागा।' मा० ६.१०२.६ (४) पोर, गाँठ । दे० सपरब (५) भकृ०० (सं० पतितव्य>प्रा०
पडिअव्व) । पड़ना (होगा) । 'बहुरि परब भवकूप ।' विन० २०३.६ परबत : सं०० (सं० पर्वत)। पहाड़ । मा० ३.२६.१० परबस : वि० (सं० परवश) । पराधीन। (१) पराधीनचित्त, मानसिक रूप से
सुधबुध रहित । 'परबस सखिन्ह लखी जब सीता।' मा० १.२३४.५ (२) दासभाव से पराधीन । 'करि कुरूप बिधि परबस कीन्हा ।' मा० २.१६.५ (३) शरीर से पराधीन । 'परबस परी बहुत बिलपाता।' मा० ४.५.४
(४) प्रकृति से पराधीन । 'परबस जीव ।' मा० ७.७८.७ परबसताई : सं०स्त्री० (सं० परवशता) । पराधीनता । गी० १.३०.५ परबास : (पर=ऊपर+वास= वस्त्र) ऊपरी आवरण । 'कपट सार सूची सहस
बांधि बचन परबास ।' दो० ४१० परब्बत : परबत । कवि० ६.५४
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