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तुलसी शब्द-कोश
___ जस निर्मल बारी ।' मा० ३.३६.७ (४) माया-गुणों से रहित, वासनाहीन ।
'जो अगम सुगम सुभाव निर्मल ।' मा० ३.३२ छं० ४ । निर्मली : निर्मल+स्त्री० (सं० निर्मला)। मा० ६.१०६ छं० १ निर्मान : वि० (सं.)। मान-रहित प्रमाणरहित+परिमाणरहित, अप्रमेय तथा ___ असीम । विन० ५३.६ निमित : भूकृ० (सं०) । रचित । 'निज इच्छा निर्मित तनु । मा० १.१६२ निमुक्त : वि० (सं.)। पूर्णतया मुक्त, सर्वथा बन्धनहीन । विन० ५५.६ निर्मूलन : वि० । निर्मूल करने वाला, उन्मूलन-कर्ता। मा० ७.१०८ छं० १० निर्मूला : वि० (सं० निर्मल)। मूल रहित, जड़ से उखड़ा हुआ, पूर्णत: नष्ट । ___'जेहि बिधि होइ धर्म निर्मूला।' मा० १.१८३.५ निमूलिन् : वि०० (सं.)। उन्मूलनकर्ता, नाशक । विन० १२.४ निर्मोह : वि० (सं.)। मोहरहित, तमोगुणी विकारों से परे । विन० ५६.५ निर्लेप : वि० (सं.) । लेपरहित । (१) प्रभावमुक्त (२) माया, कर्म आदि की
वासनाओं से परे । 'हरिनिर्गुन निर्लेप निरपने ।' कृ० ३८ । निवंश : वि० (सं०) । वंशहीन, जिसके कुल में कोई न बचा हो । विन० ४६.६ निर्वाण : सं०० (सं.)। (१) शान्ति, तापशमन, मोक्ष । मा० ५ श्लोक १
(२) वि.पु. (सं०)। शान्त, मुक्त । 'निजानन्द निर्वाण निर्वाणदाता।'
विन० ५६.५ निर्वाप : सं०० (सं.)। शमन, बुझाना; ताप नाश । 'अगिपर गर्व निर्वाप
कर्ता ।' विन० ५४.७ निर्विकल्प : वि. (सं.)। विकल्पों से परे-शब्दमात्र में स्थित वस्तुशून्य तत्त्व
विकल्प है, उससे रहित । गुण आदि विशेषणों से विशिष्ट ज्ञान सविकल्प है, उससे भिन्न प्रत्यय वाला=निरपेक्ष । विकल्पस्वरूप संसार से परे। मा०
७.१०८.३ नियंलीक : वि० (सं०) । व्यलीक-रहित; मिथ्या-माया से परे, निष्कलुष । विन०
२०४.३ निलज : निलज्ज । 'रन ते निलज भागि गृह आवा।' मा० ६.८५.७ निलजई : निलजता (प्रा० निलज्जया)। 'रीझिबे लायक तुलसी की निलजई।'
विन० २५२.५ निलजता : सं० स्त्री० (सं० निर्लज्जता) । विन० १५८.६ निलज्ज : वि० (सं० निर्लज्ज>प्रा० निलज्ज)। लज्जा रहित । मा० ५.६.६ निलय : सं०० (सं.)। आवास, आलय । (२) लय, तल्लीनता । 'यस्यांशि
प्राथोज..... मुनिवृद अलि निलयकारी।' विन० ६१.१ निवछावरि : नेवछावरि । रा०न० १६