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तुलसी शब्द-कोत
विखावौं : देखावौं । 'सो बल मनहि देखावौं ।' विन० १४२.१० दिगंचल : सं०० (१) (सं.)। दिशाविभाग। (२) (सं० दृगंचल) नेत्रफलक,
पलकें । 'मनहुं सकुचि निमि तजे दिगंचल ।' मा० १.२३०.४ दिगंबर : सं०+वि० (सं.)। जिसके वस्त्र दिशाएँ ही हों निर्वसन, नग्न
(शिवजी) । 'अकुल अगेह दिगंबर ब्याली।' मा० १.७६.६ विगवंति : सं०० (सं० दिग्दन्तिन्) । दिग्गज । गी० १.६०.५ दिगपाल, ला : सं०० (सं० दिक्पाल)। दिशाओं के स्वामी = इन्द्र, अग्नि, यम,
निऋति, वरुण, वायु, कुबेर और ईशान (क्रमश: पूर्वादि दिशाओं के दिक्पाल
हैं)। मा० ६.८.३ दिगपालन्ह : दिगपाल+संब० । दिग्पालों। 'दिगपालन्ह के लोक सुहाए।' मा०
१.१८२.७ दिगपुर : किसी ग्राम या नगर का नाम जिसके और वारिपुर के बीच 'सीतामढ़ी'
की स्थिति बतायी गयी है। कवि० ७.१३८ विगबसन : दिग्बसन । कवि० ७.१५० दिसिधुर : (सं० दिक्सिन्धुर) दिग्गज । मा० ६.७९.६ विगीस : (सं० दिगीश) दिगपाल । विन० २५०.२ विगीसनि : दिगीस+संब० । दिक्पालों। विन० २४६.३ दिग्गज : सं०० (सं०) । आठ दिशाओं में पृथ्वी को रोकने वाले (पुराण-प्रसिद्ध) ___ आठ हाथी। मा० १.२५४.१ दिग्बसन : दिगंबर । कवि० ७.१४६ दिच्छा : सं०स्त्री० (सं० दीक्षा) । मन्त्रदान की धार्मिक विधि । 'दिच्छा देउँ ग्यान ___ जेहिं पावहु ।' मा० ६.५७.८ दिछित : सं०+वि०० (सं० दीक्षित) । दीक्षा प्राप्त; यज्ञ या मन्त्र की दीक्षा
पाया हुआ। विन० २४०.२ विढ़ाई : आ०ए० (सं० दढायते>प्रा० दिढाइ) । दृढ़ होती है । 'प्रीति बिना नहिं
भगति दिढ़ाई।' मा० ७.८६.८ वितिसुत : कश्यप-पत्नी दिति के पुत्र दैत्य । मा० ६.६.७ दिन : सं०० सं० । (१) (दिवस=६० घरी वाला दिन-रात का समय । 'सबहि
सुलभ सब दिन सब देसा ।' मा० १.२.१२ (२) सूर्योदय से सूर्यास्त तक का समय । 'सुख दुख पाप पुन्य दिन राती।' मा० १.६.५ (३) तिथि (दिनाङक)। 'जेहि दिन राम जनम श्रुति गावहिं ।' मा० १.३४.६ (४) प्रतिदिन । एहि
दुख दाहँ दहइ दिन छाती।' मा० २.२१२.१ (५) रविवारादि सात दिन । दिनकर : सं०० (सं.) । सूर्य । मा० १.३२.१० विनवानी : प्रतिदिन दान करने वाला । 'प्रनवउँ दीनबंधु दिनदानी।' मा० १.१५.३