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तुलसी शब्द-कोश
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वाहें : आ०प्रब० (सं० दाहयन्ति>प्रा० दाहंति>अ० दाहहिं)। जलाते हैं ।
'निवासु जहाँ सब ले मरे दाहैं।' कवि० ७.१५५ दाहै : दाहइ। दिअटि : सं०स्त्री० । दीपाधार । 'चित्त दिआ भरि धरै दृढ, समता दिअटि
बनाइ।' मा० ७.११७ ख विआ : सं०० (सं0 दीपक>प्रा० दीअअ) । प्रदीप । 'नहिं कछु चहिअ दिआ
घृत बाती।' मा० ७.१२०.३ (२) दीप्ति, प्रकाश की चकाचौंध । 'मनहुं मृगी
मृग देखि दिआ से।' मा० १.११६.३ (दे० दियरे, दीपिका)। दिएँ : (१) देने से, देने पर ! 'दिएँ उतरु फिरि पातकु लहऊँ।' मा० २.६५.८
(२) देकर । 'सुनु कान दिएँ।' कवि० ७.२६ दिए : भूकृ०पू०ब० । प्रदान किये । 'तब मुनि आश्रम दिए सुहाए।' मा० २.१२५.४ दिकवाह : सं०० (सं० दिग्दाह) । दिशाओं में आग लगना। आग की लपटों के
समान दिशाओं की भीषण लाली (जो अपशकुन मानी गयी है)। 'ऊकपात
दिकदाह दिन ।' रा०प्र० ५.६.३ दिखरावहिंगे : आ०भ००प्रब० । दिखालाएंगे। 'राका ससि मुख दिखरावहिंगे।'
गी० ५.१०.१ विखाइ : देखाइ । दिखला (कर) । 'हेम हरिन कहँ दीन्हेउ प्रभुहि दिखाइ।'
बर० २६ दिखाई : (१) दिखाइ । 'बिनु पूछे मगु देहिं दिखाई।' मा० ६.१८.१० (२) देखने
की क्रिया (दर्शन)। 'सपनेहुं नहिं देत दिखाई ।' विन० १६५.२ (३) भूकृ० __ स्त्री० । दिखलाई । 'तिन की गति प्रगट दिखाई ।' गी० १.१.१२ दिखाउ : देखाउ । तू दिखला । कृ० ५२ दिखाए : देखाए । 'महारिस तें फिरि आँखि दिखाए ।' कवि० १.२२ दिखाया : भूकृ०० । दिखलाया, प्रकट किया। 'प्रभु प्रतापु सब नृपन्ह दिखाया।'
मा० १.२३६.५ दिखायो : दिखाया+कए । 'जन पर हेतु दिखायो।' गी० ५.४४.५ दिखाव, दिखावइ : (देखावइ) (१) दिखाता है । 'ताहि दिखावइ निसिचर निज माया ।' मा० ६.५१ (२) देखने में आता है (अपने-आपको दिखाता
है)। 'घृत पूरन कराह अंतरगत रवि प्रतिबिंब दिखावै ।' विन० ११५.२ दिखावत : देखावत । 'कानन भूमि बिभाग राम दिखावत जानकिहि ।' रा०प्र०
दिखावहिं : देखावहिं । 'बुडिहि लोभ दिखावहिं आई।' मा० ७.११८.७ : दिखाव : दिखावइ । 'जो मारग श्रुति साधु दिखावै ।' विन० १३६.१२.