SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 399
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तुलसी शब्द-कोश ठौर : सं०पु० । (१) स्थान । 'ठौर ठौर दीन्ही आगि ।' कवि० ५.३ (२) आश्रय । 'नाहिन ठौर कहूं ।' विन० ८६.१ ठौरी : ठौरी । 'लोचन लाहु लह्यो एक ठोरी ।' गी० १.१०४.३ ठौरु : ठौर + कए० । एक भी स्थान, आश्रय । 'औरु कहाँ ठोरु रघुबंसमनि मेरे । ' विन० २१०.१ ड 387 डग : सं०पु० । पदविक्षेप, एक पदक्रम | 'धरि धीर दए मग में डग द्वे ।' कवि० २.११ // डग, डगइ : आ०प्र० । चलित होता है, हिलता है, स्थान से कुछ चलता है । 'डगइ न संभु सरासन कैसें । मा० १ २५१.२ गत: वकृ०पु० । विचलित होता ते, लड़खड़ाता - ते । 'बूड़त लखि पग डगत लखि ।" O दो० ५२० डगति : डगत + स्त्री० । हिलती । 'डोलति नहि डगति ।' गी० २.८२.२ डगमगत: वकृ०पु० । लड़खड़ाता ते, हिलता ते । मा० ६.७०.८ डगमगहिं, हीं : आ。प्रब० । हिलते डोलते हैं । "छुभित पयोधि कुधर डगमगहीं ।' मा० ६.७.६ डगमगानि : भूकृ० स्त्री० । हिल- डोल गयी; काँप उठी । ' डगमगानि महि दिग्गज डोले ।' मा० १.२५४.१ डगमगाहि : डगमगहिं । मा० ५.३५.१० डगमगे : भूक०पु०ब० । डाँवाडोल हो गये । मा० ६.८६ छं० गरि : कृ० । डगर पर चलकर, राह पकड़ कर अपना रास्ता लेकर । 'डगरि चले हँसि खेलि ।' कृ० २६ डगरो : सं०पु०कए० । मार्ग । 'रामभजन .. • मोहि लगत राज-डगरो सो ।' विन० १७३.५ डह, हीं : आ०प्र० । चलित या च्युत होते हैं । 'डगहिं न ताल बँधान ।' मा० १.३०२ (२) कम्पित होते हैं, लड़खड़ाते हैं । 'चलत कटक दिगसिंधुर डगहीं ।" मा० ६.७६.६
SR No.020839
Book TitleTulsi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBacchulal Avasthi
PublisherBooks and Books
Publication Year1991
Total Pages564
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy