SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 370
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 358 तुलसी शब्दकोश (को) । जीवन मुकुति हेतु जनु कासी।' मा० १.३१.११ (७) जल । 'जीवन तें जागी आगि ।' कवि० ५.१९ (८) प्राणधारण+जल । 'होइ जलद जग जीवन दाता।' मा० १.७.१२ बीवनतरु : जीवन रूपी वृक्ष+वह वृक्ष जिसमें जीवन रहता हो (लोक कथाओं में किसी राजा का जीवन एक वृक्ष में स्थित कहा जाता है, वहीं से जीवन वृक्ष की कल्पना है । उस वृक्ष को छलपूर्वक हटा देने पर राजा का मरण कथाओं में आता है।) 'जीवनतरु जिमि जोगवइ राऊ।' मा० २.२०१.१ बीवननाथ : जीवननाथ+कए । जीवन के एकमात्र स्वामी। प्राणाधार । मा० २.५८.३ जीवनमुक्त : वि० (सं० जीवन्मुक्त) । जीवित दशा में ही ब्रह्मलीन रहने वाला यति । 'जीवनमुक्त ब्रह्म पर ।' मा० ७.४२ जीवनि : सं०स्त्री० (सं० जीवनी)। जीवनदात्री, जीवनबूटी, जिलाने वाली औषधि । 'अवधि आस सम जीवनि जी की।' मा० २.३१७.१ जीवन : जीवन+कए । 'सत्य कि जीवन लेइहि मोरा।' मा० २.३१.३ जीवन्ह : जीव+संब० । जीवों। मिटइ न जीवन्ह केर कलेसा ।' मा० ७.७६.१ जीवहिं : आ०प्रब० (सं० जीवन्ति>प्रा० जीवंति>अ० जीवहिं) (१) जीते हैं। _ 'महरि महर जीवहिं सुख जीवन ।' कृ० ४८ (२) जियें (गे)। क्यों जीवहिं, मेरे राम लाडिले, ते अब निपट बिसारे ।' गी० २.८७.२ जीवहि : (१) जीव को। 'जनु जीवहि माया लपटानी ।' मा० ४.१४.६ (२) जीव का । 'ईस्बर जीवहि भेद कहहु कस।' मा० ७.७८.५ बोवहुं : आ०-आशी:-प्रब० । जियें, चिरायु हों । 'सकल तनय चिर जीवहुँ ।' मा० १.१६६ जीवहु : (१) जीवहुं। 'नप सुत चारि चारु चिर जीवहु ।' गी० १.२.१० (२) जोवों के ही । 'सब जीवहु सम प्रिय मोहि सोई।' मा० ७.८६.६ जीवा : जीव । मा० २.२३८.५ जीवे : जीवइ । जी सकता है । 'प्रतिग्राही जीव नहीं।' दो० ५३३ जीवौं : आ० उए० (सं० जीवामि>प्रा० जीवमि>अ० जीवउँ)। जीवित रहूं।' ____ 'जीवौं तो बिपति सहौं निसि बासर ।' गी० २.५४.४ जोहँ : जीभ से । 'नाम जीहँ जपि जागहिं जोगी।' मा० १.२२.१ जीह : जीहा (अ.) । जीभ । 'जीह जसोमति हरि हरधर से ।' मा० १.२०.८ जोहा : सं०स्त्री० (सं० जिह्वा>प्रा० जीहा)। जीभ । 'हंसिनि जीहा जासु ।' मा० २.१२८ तु : (१) जो। यदि । ‘राबन जु पं राम रन रोषे ।' गी० ५.१२.१ (२) जो। जिसको । 'को जु मोह कीन्हो जय न ।' कवि० ७.११७
SR No.020839
Book TitleTulsi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBacchulal Avasthi
PublisherBooks and Books
Publication Year1991
Total Pages564
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy