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तुलसी शब्द-कोश
जानियत : वकृ० (सं० ज्ञायमान>प्रा० जाणी अंत)। ज्ञात होते (ती)। ___ 'जानिमत सबहीं की रीति राम रावरे ।' हनु० ३७ जानिहहिं : आ०भ०प्रब० (सं० ज्ञास्यन्ति>प्रा० जाणिहिति>अ० जाणिहिहिं)।
जानेंगे, समझ लेंगे। 'थोरे महुं जानिहहिं सयाने ।' मा० १.१२.६ जानिहि : आ०म०प्रए० (सं० ज्ञास्यति>प्रा० जाणिहिइ)। जानेगा। 'परम
तुम्हार राम कर जानिहि।' मा० २.१७५.७ जनिहैं : जानिहहिं । 'कहिबो जानिहैं लघु लोइ । गी० ५.५.६ जानिहीं : आ०भ० उए० (सं० ज्ञास्यामि>प्रा० जाणिहिमि>अ० जाणिहिउँ)।
जानूंगा-गी। 'तो जानिहौं सही सुत मेरे।' गी० २.११३ जानिहौ : आ० भ०मब० (सं० ज्ञास्यथ-प्रा० जाणिहिह>अ० जाणिहिहु)।
जानोगे । 'आपनो कबहुँ करि जानिहो ।' विन० २२३.१ जानी : (१) भूक स्त्री० । जान ली, समझी। 'चतुराई तुम्हारि मैं जानी।' मा०
१.४७.३ (२) जानि । जानकर । 'तजिअ बिषादु काल गति जानी।' मा० २.१७६.२ (3) पूर्व-निर्धारित । 'सकल सभा ले उठी, जानी रीति रही है।' विन० २७६.२ (४) जानिअ । जाना जाय । 'महाबल बीर हनुमान जानी।' कवि० ६.२० (५) वि० स्त्री० । ज्ञानवती, बुद्धिमती । 'जानी ह्र ग्वालि
परी फिरि फीके ।' कृ० १० जानु : (१) सं०० (सं०) । पैर का घुटना । मा० १.१६६.११ (२) आ०
आज्ञादि-मए । तू जान । जानू : जानु । तू जान । 'चाप सुवा सर आहुति जानू ।' मा० १.२८३.२ जानें : जानने पर, जानने से । 'जेहि जाने जग जाइ हेराई।' मा० १.११२.२ जाने : भू०००ब० । ज्ञात किये । 'सिसु सब राण प्रेमबस जाने ।' मा० १ २२५.१
(२) जाने-माने हुए, प्रबुद्ध । कृ० ४६ (३) जानें । जानकर । 'फिरी अपनपउ पितु बस जाने ।' मा० १.२३४.८ (४) जानना, ज्ञान । 'सोउ जाने
कर फल यह लीला।' मा० ७.२२.५ जाने : आ०-भूक००+ उए । मैं ने जाना। 'जानेउँ मरमु राउ हँसि
कहई।' मा० २.२८.१ जानेउ : भूक००कए० (सं० ज्ञातम>प्रा० जाणिअं> अ० जाणियउ) । जाना,
ज्ञात किया । 'जब तेहिं जानेउ मरमु तब ।' मा० १.१२३ जानेसि : आ० भूक ००+प्रए । उसने जाना। 'जानेसि निपट अकेल ।' मा०
३.३७ जानेसु : आ०-भ०+आज्ञा-मए० । तू जानना । 'नहिं आवौं तो जानेसु मारा।'
मा० ४.६.६