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तुलसी शब्द-कोश
(१) जान पड़ते हैं । पल सम होहिं न जनिअहिं जाता ।" मा० २.२८०.८ (२) जाने जायें । 'रहत न जनिअहिं प्रान ।' मा० २०६६
नित: भूकृ० (सं० ) । उत्पादित । 'देहजनित अभिमान छड़ावा ।' मा० ४.२८.६ निबे : जानिबे । जानने । 'जनिबे को रघुराउ ।' दो०२०२
अनियत : जानियत । जाने जाते रहे ( हैं ) । 'तुलसी राम जनमहिं तें जनियत ।'
गी० १.४६.३
जन हैं : (१) जानिहैं। समझेंगे । (२) आ०प्रब० (सं० जनयिष्यन्ति > प्रा० जणिहित > अ० णिहिहि ) । जनेंगे, उत्पन्न करेंगे । 'चलिहैं छूटि पुंज पापिन के, असमंजस जिय जनि हैं ।' विन० ६५.२
जती : (१) वि०स्त्री० (सं० जनि = जनी ) । स्त्री + माता, जननी । 'सकल सुमंगल मनि जनी ।' गी०५३६.५ (२) भूकृ०स्त्री० । उत्पन्न की। पुरी सुमति जननी जनु जनी ।' गी० १.५१ (३) उत्पन्न हुई । 'सरस सुषमा जनी ।' गी ७५.३
। जैसे । 'जनु बहु मनसिज रति तनु 'जनु बिनु पंख बिहंग बेहालू ।'
जनु : (१) अव्यय ( अ० जणु ) १. १३०.१ ( २ ) मानों । (३) जन + कए० | अनन्य जन । 'जब लगि जनु न तुम्हार ।' मा० २.१०७ जनेउ : जनेऊ । 'चारु जनेउ माल मृग छाला ।' मा० १.२६८.७
जनेऊ : सं०पु० (सं० यज्ञोपवीत > प्रा० जण्णोवईअ ) । द्विजों द्वारा धारणीय यज्ञ
धारी ।' मा० मा० २३७.१
सूत्र । मा० १.१४७.७
जनेत : सं० स्त्री० (१) (सं० जन्य यात्रा - जन्य : - दूल्हा तथा उसके साथी > प्रा० जण्णयत्ता > अ० जण्णयत्त ) । बरात । 'भूत पिसाच प्रेत जनेत ऐहैं साजि के ।' पा०मं०छ० ७ (२) (सं० जन्यायात्रा ) । बधू को साथ लिए हुए बरात (जन्या: वधू) । पहुंची आइ जनेत ।' मा० १.३४३
जनेसु : जनेस + कए० । ' जेहि जनेसु देइ जुबराजू ।' मा० २.१४.२
जन : दे० / जन |
जनेषु : (सं० पद) लोगों में । 'अह मम मलिन जनेषु ।' मा० २.२२५ जनेस : सं०पु० (सं० जनेश ) । राजा । 'हमरें जान जनेस बहुत भल कीन्हेउ ।' जा०
मं० ६७
=
जन्म : जनम | मा० १.३४.८
जन्मत: जनमत । 'जन्मत भयउँ सूद्र तनु पाई ।' मा० ७.६७.१
जनंगी : आ०भ० स्त्री०प्र० । उत्पन्न करेगी + प्रसव करेगी । ' प्रभु की बिलंब अंब दोष दुख जगी ।' विन० १७६.५