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________________ तुलसी शब्द-कोश 179 कुमारगगामी : दुराचारी, अनीति पर चलने वाले । 'मारहिं मोहि कुमारग-गामी ।' मा० ५.२२.४ कुमारि, रि : कुमार+स्त्री० (सं० कुमारी) । मा० १.६७.३ कुमारिका : कुमारी । 'चाहति काहि कुधर कुमारिमा ।' पा०म० छं० ५ कुमार : कुमार+कए० । 'सुमिरि समीर कुमारु ।' दो० २३० कुमित्र : दुष्ट मित्र, छली मित्र । मा० ४.७.८ कुमुख : (१) दुष्ट मुख, कटुवादी मुख । 'लागहिं कुमुख बचन सुभ कैसे ।' मा. २.४३.७ (२) सं०० (सं०) । एक राक्षस-यूथप । मा० १.१८० कुमुद : सं०पु० (सं.)। (१) जलाशयों में होने वाला पुष्पविशेष जो चन्द्रोदय __से खिलता है । 'अरुनोदय सकुचे कुमुद ।' मा० १.२३८ (२) एक वानरयूथप । 'संग नीलनल कुमुद गद ।' रा०प्र० ३.७.२ कुमुदबंधु : चन्द्रमा । मा० १.२४३.५ कुमुदिनि : (सं० कुमुदिनी) कुमुद पुष्प । 'बिलखित कुमुदिनि चकोर।' गी० १.३६.१ कुमुदिनी : कुमुदिनी+ब० । कुमुदिनियां । 'जनु कुमुदिनी कौमुदी पोषीं।' मा० - २.११८.४ कुमुलानी : भूकृ०स्त्री० (सं० कुम्लाना) । मुरझा गई, सूख गई । 'हृदय कंप मुख दुति कुमुलानी।' मा० १.२०८.१ कम्हड़ : सं०पु० (सं० कूष्माड>प्रा० कुम्हंड)। क छ । कुम्हड़बतिया : कछू का कच्चा छोटा फल । मा० १.२७३.३ कुम्हड़े : 'कुम्हड़' का रूपान्तर । 'कुम्हिलहै कुम्हड़े की जई है ।' विन० १३६.८ कुम्हारा : सं०० (सं० कुम्भकार>प्रा० कुंमार)। घड़ा बनाने वाली जाति, कुमार । मा० ७.१००.५ कुम्हिलाहिं, हीं : आ०प्रब० । मुरझाते हैं, सूख से जाते हैं। 'बागन्ह बिटप बलि कुम्हिलाहीं ।' मा० २.८३.८ कुम्हिलैहे : आ०भ० प्रए । कुम्हला जायगी, मुरझायगी । 'कुम्मिलैहै कुम्हड़े की जई है।' विन० १३९.८ कुयोगिनां : (सं० पद) मिथ्या योगसाधना करने वाले यतियों के । मा० ३.४.छं० कुरंग : सं०पू० (सं०) । हरिण । मा० २.८६.८ कुरंगा : कुरंग । मा० १.४६.४ कुरंगिनि, नी : सं०स्त्री० (सं० कुरंगी)। हरिणी। 'चितवत चकित कुरंग कुरंगिनि ।' गी० ३.२.५
SR No.020839
Book TitleTulsi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBacchulal Avasthi
PublisherBooks and Books
Publication Year1991
Total Pages564
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size32 MB
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