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तुलसी शब्द-कोश
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अंधियारो : वि० पु. कए । अन्धकार से ढका हुआ। 'लागत जग अँधियारो।'
गी० २.६६.१ अंबराई : (१) सं० स्त्री० (सं० आम्रराजी>प्रा० अंबराई) आमों का बगीचा,
उद्यान, उपवन । मा० १.२१४.५ (२) पूकृ० । अम्बर=आकाश के समान शून्य में फैलाव करके, बातों का वात्याजक्र गढ़ कर । 'तुलसीदास जनि बकहि मधुप सठ हठ निसिदिन अंबराई।'
कृ० ५१ अंबारी : सं० स्त्री (सं० आवारिका) आवरण, हाथी की झूल आदि । 'कलित
करिवरन्ह परी अंबारी।' मा० 1.३००.१ (२) मकान का छज्जा आदि ।
'चारु बजारु विचित्र अंबारी।' मा० १.२१३.२ अ : निषेधार्थक (सं०) अव्यय जो समास के पूर्व पद में आता है-अचपल, अग्यान
आदि। क : सं० पुं० (सं०) (१) चिन्ह, छाप । 'राम पद अंक' मा० २.१२३.६
(२) गोद। 'प्रीति समेत अंक बैठावा' मा० ६.४६.७ (३) बाहुपाश, भुजबन्ध । तेहि भरि अंक राम लघु भ्राता' । मा० २.१६४.४ (४) रेखा, लेख,
लिपि 'बिधि के लिखे अंक निज भाला।' मा० ६.२६.१ अंकमाल : सं० स्त्री० (सं० अंकमाला)। अॅकवार, बाहुबन्धन, आलिङ्गन। 'सब
अंकमाल देत हैं।' कवि० ५.२६ अंका : अंक। अंकित : भूकृ० वि० (सं०) (१) लिखित । 'राम नाम जस अंकित' मा०
१.१०.५ (२) छापयुक्त, मुद्रित। 'प्रभुपद अंकित अवनि बिसेषी ।' मा०
२.३०८.४ अंकुर : सं० पु० (सं०) अंखुआ,, बीज जमने पर निकलने वाली नोक । 'अच्छत
अंकुर लोचन लाजा।' मा० १.३४६.५ अंकुरे : भूकृ० बहु० पु० (सं० अंकुरित>प्रा० अंकुरिय) उगे, जमे, प्रकट हुए। ___'कपट भू भट अंकुरे ।' मा० ६.९४ छं० अंकुरेउ : भूक पु० फए० । अँखुआया, उगा । 'उर अंकुरेउ गरब तरु भारी।'
मा० १.१२६.४ कुस : सं०पु० (सं० अंकुश) हाथी चलाने आदि का उपकरण-विशेष । मा० १.२५६ (२) सामुद्रिक रेखा विशेष । 'रेखा कुलिस ध्वज अंकुस सोहे।'
मा० १.१६६.३ अंग : सं० पु. (सं०) (१) पक्ष, अंश । 'सूझ न एकउ अंग उपाऊ।' मा० १.८.६
(२) शरीर । 'भव अंग भूति मसान की।' १.१ छं० (३) देह का