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________________ तुलसी शब्द-कोश 3 अंधियारो : वि० पु. कए । अन्धकार से ढका हुआ। 'लागत जग अँधियारो।' गी० २.६६.१ अंबराई : (१) सं० स्त्री० (सं० आम्रराजी>प्रा० अंबराई) आमों का बगीचा, उद्यान, उपवन । मा० १.२१४.५ (२) पूकृ० । अम्बर=आकाश के समान शून्य में फैलाव करके, बातों का वात्याजक्र गढ़ कर । 'तुलसीदास जनि बकहि मधुप सठ हठ निसिदिन अंबराई।' कृ० ५१ अंबारी : सं० स्त्री (सं० आवारिका) आवरण, हाथी की झूल आदि । 'कलित करिवरन्ह परी अंबारी।' मा० 1.३००.१ (२) मकान का छज्जा आदि । 'चारु बजारु विचित्र अंबारी।' मा० १.२१३.२ अ : निषेधार्थक (सं०) अव्यय जो समास के पूर्व पद में आता है-अचपल, अग्यान आदि। क : सं० पुं० (सं०) (१) चिन्ह, छाप । 'राम पद अंक' मा० २.१२३.६ (२) गोद। 'प्रीति समेत अंक बैठावा' मा० ६.४६.७ (३) बाहुपाश, भुजबन्ध । तेहि भरि अंक राम लघु भ्राता' । मा० २.१६४.४ (४) रेखा, लेख, लिपि 'बिधि के लिखे अंक निज भाला।' मा० ६.२६.१ अंकमाल : सं० स्त्री० (सं० अंकमाला)। अॅकवार, बाहुबन्धन, आलिङ्गन। 'सब अंकमाल देत हैं।' कवि० ५.२६ अंका : अंक। अंकित : भूकृ० वि० (सं०) (१) लिखित । 'राम नाम जस अंकित' मा० १.१०.५ (२) छापयुक्त, मुद्रित। 'प्रभुपद अंकित अवनि बिसेषी ।' मा० २.३०८.४ अंकुर : सं० पु० (सं०) अंखुआ,, बीज जमने पर निकलने वाली नोक । 'अच्छत अंकुर लोचन लाजा।' मा० १.३४६.५ अंकुरे : भूकृ० बहु० पु० (सं० अंकुरित>प्रा० अंकुरिय) उगे, जमे, प्रकट हुए। ___'कपट भू भट अंकुरे ।' मा० ६.९४ छं० अंकुरेउ : भूक पु० फए० । अँखुआया, उगा । 'उर अंकुरेउ गरब तरु भारी।' मा० १.१२६.४ कुस : सं०पु० (सं० अंकुश) हाथी चलाने आदि का उपकरण-विशेष । मा० १.२५६ (२) सामुद्रिक रेखा विशेष । 'रेखा कुलिस ध्वज अंकुस सोहे।' मा० १.१६६.३ अंग : सं० पु. (सं०) (१) पक्ष, अंश । 'सूझ न एकउ अंग उपाऊ।' मा० १.८.६ (२) शरीर । 'भव अंग भूति मसान की।' १.१ छं० (३) देह का
SR No.020839
Book TitleTulsi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBacchulal Avasthi
PublisherBooks and Books
Publication Year1991
Total Pages564
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size32 MB
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