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________________ 94 तुलसी शब्द-कोश उदित : भू००वि० (सं०) । उगा हुआ, प्रकट, व्यक्त, प्रकाशित, उन्नत । 'उदित उदयगिरि मंच पर रघुबर बाल पतंग ।' मा० १.२५४ उदै : उदय । कवि० २.२२ उदोत : सं०० (सं० उद्योत)। प्रकाश । 'हाथ लेत पुनि मुकुता करत उदोत ।' बर०४ उदौ : उदउ । दो० ३४४ उद्धरण : वि.पु । उद्धार करने वाला, तारने वाला। विन० ५२.२ उदरहुगे : आ०भ०-मब० । उद्धार करोगे, पापमुक्त करोगे। 'मोहि नाथ उद्धरहुगे ।' विन० २११.१ उद्धारन : वि०० । उद्धार करने करने वाला, ऊर्ध्वगति देने वाला। 'गीध सबरी उद्धारन।' कवि० ७.११४ उद्धृत्य : पूक० (सं०) । निकाल कर । विन० ५७.६ उभव : सं०० (सं०) । उत्पत्ति, आविर्भाव । मा० १ श्लोक ५ उद्यम : सं०० (सं.)। उद्योग, प्रयत्न (धन्धा) । 'जस सुराज खल उद्यम गयऊ।' ___ मा० ४.१५.३ .. उद्योत : सं०० (सं०) । प्रकाश, ज्योति । विन० ५१.२ उपरी : भू००स्त्री० (सं० उद्धत>प्रा० उद्धरिआ) । ऊपर की गई, उठाकर बचा ली गई । 'अनायास उधरी तेहिं काला।' मा० १.२६७.४ उधर यो : भूक०० कए । उद्धार करके बचाया, तारा। 'कर गहि उधर यो।' विन० २३६.३ उधारन : उद्धारन । गी० ६.६.५ उपारि : पूकृ० । उद्धार करके । 'रिषि नारि उधारि.....सुकीर्ति लही।' कवि० ७.१० मा० १.२२१ उधारिहैं : आ०भ०प्रब० । उद्धार करेंगे, पापमुक्त करेगे । गी० २.४१.४ उधारी : भूक० स्त्री० । उद्धार की, पापमुक्त की । 'भग मुनि बधू उधारी।' गी० १.६३.४ उधारे : भृ० कृ०पु०ब ० । मुक्त किये, ऊपर गये । नाम उधारे 8 मि.त हल ।' मा० १.२४ उधार यो : भू००पु० कए० । स्टार किया, मुक्त किया। गीध उधार यो ।' विन० २०२.५ उन : सर्वनाम-संब०। उन्हों (ने) । 'चित्रकेतु कर घर उन घाला।' मा० १७६२ उनचास ; संख्या (सं० ऊनपञ्चाशत् >प्रा० ऊण चास) । मा० ५.२५
SR No.020839
Book TitleTulsi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBacchulal Avasthi
PublisherBooks and Books
Publication Year1991
Total Pages564
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size32 MB
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