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सोमसेनकृत वर्णिकाचार, अध्याय पांचवा. पान २३९. HencemementernenemenerenownenerwwwANAND जिता, मानसी, महामानसी ह्या सोळा विद्यादेवतांचें “ॐ हाँ " इत्यादि मंत्राने पूजन करावें.
शासनदेवतार्चनमंत्र. चतुर्विशपत्रेषु- ॐ ही चक्रेश्वरि रोहिणि प्रज्ञप्ति वज्रशृङ्वले पुरुषदत्ते मनोवेगे कालि ज्वालामालिनि महाकालि मानवि गौरि गांधारि वैराटि अनन्तपनि मानसि महामानसि जये विजये अपराजिते बहुरूपिणि चामुण्डे कूष्माण्डिनि पद्मावति सिद्धायिनि सर्वा अप्यायुधवाहनसमेता
आयात आयात इदमध्यं गृह्णीत गृहीत स्वाहा ।। इति शासनदेवतापूजनम् ॥ : अर्थ-- नंतर पोडशदलांच्या भोवती असलेल्या चोवीस दलांमध्ये चक्रेश्वरी, प्रज्ञप्ती, वज्रश्रृंखला, पुरुषदत्ता, मनोवेगा, काली, ज्वालामालिनी, महाकाली, मानवी, गौरी, गांधारी, वैराटी, अनंतमती, मानसी महामानसी, जया, विजया, अपराजिता, बहुरूपिणी, चामुंडा, कूष्मांडिनी, पद्मावती आणि सिद्धायिनी ह्या चतुर्विंशति शासनदेवतांचें “ॐ ही" इत्यादि मंत्राने पूजन करावें.
इंद्रार्चनमंत्र. द्वाविंशत्पत्रेषु- ॐ ही असुरेन्द्र नागेन्द्र सुपर्णेन्द्र द्वीपेन्द्रो दधीन्द्र स्तनि
तेन्द्र विद्युदिन्द्र दिगिन्द्र अग्नीन्द्र वाग्विन्द्र किन्नरेन्द्र किम्पुरुषेन्द्र महोरPoweremovew
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