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। श्रीविजयनेमिसरिग्रन्थमाला-रत्नम्-२७ ।
परमाहत-महाकवि-श्री धनपाल' विदुषा विनिर्मिता
श्रीतिलकमंजरी.
तदुपरि
विवुधशिरोमणि श्रीशान्त्याचार्यनिर्मितं टीप्पनकम् ,
श्रीपद्मसागर-विबुधरचिता व्याख्या, श्रीविजयलावण्यसूरिनिर्मिता परागामिधा विवृतिश्च ।
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प्रकाशक:
श्रीजैनग्रन्थप्रकाशकसभायाः कार्यवाहकः श्रेष्ठी
ईश्वरदास मूलचन्द्रः।
प्रथमावृत्तिः
मूल्यं दाइश आणकाः।
वीर सं. २४६७ विक्रम सं. १९९७
प्रतयः ५२५
मुद्रकः- प्रियदर्शनमुद्रणालयाधिपतिः 'शाह पुनमचंद्' वालजी -अमदावाद,
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