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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५३ - - - - - - हनेहैं स्त्रीप्रसंगकोधवलकरै भोरमस्तकको रोशनकरे सौरवीर्यकोपेदाकरैऔरयसलीत रीकीरक्षाकरै-औरतवीयतकोनरमकरैयाकीला गवूरो औरशहतह औरयधभुनेचौरमान्सके पीछेयहनन्नमभोजनहानथलहमासात/ फारसीमेगोश्तौरहिंदी मेंमान्सकहतेहेंहजरतका कोलहैके दीनौरदुनियोंमेंसवभोजनकासर्दारमा न्सहैयह मच्छाभोजन सोरमान्सकीवडाईमौर प्रकरण में बहुतसीवाहि-औरकहाँनीयोंसैयहवाN तसावितहोती है केहजरतकोमान्सबहुतपसंदणास वरेमान्सगरमतरहें कोईवहतकोईयोडाऔरपसू नोकोपक्रतीकेसनुसारपरंतुमछलीकामान्ससर्द औरखुश्कहै औरजेंगस्लीपरदकामान्सगरमौर खुश्क है औरचण्गाहमें पहलेतरुण और मोटे डकोशनिकलेइयेवकरेकामान्समञ्चमहोताहै मोर दवले निर्वलक्ष्भ वस्थाके बकरेकामान्स धुरा हो नाहे औरठेगनेपसूकामान्सनरम होना है औरलवे काभारी होता है। प्रथमरजनजूशाअर्थात् दों नामरूयादूसरेदरजा गरम औरश्कहै औरजा लीनूसयाकीतीसरेदरजा वतावहे नोरंजनावका कोलह केदोंनामरूसाताकीजडारणकरे है पचाने। वालाऔरषोलनेवाला-औरप्रसन्न करनेवालापेशा घऔर स्त्रीधर्मकोजारीकरनेवालाएरदेऔरमसाने | की पथरीतोडके निकालनेवाला मातों कोगरमकरै/ उदरसोरसातोंकीनरीको पोषणकरैौरवायशूलको - कर For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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