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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Heas - - - - - ताकत तथानिगरकोपलवानकरताहै भोरपाच कहै औरवायकोदूरकरे-औरगारकोपोलेमोरसू लकोदूरकर और पुराने अतीसारकोगुणदायक है। औरमरोडाको बंद करैयाकीलागधनीयाँप्रथकुं। दासातफारसी मेंलोवानहिंदी में कुदरूगोंददूर सरदस्जामेंगरमोरतीसरेमें रखुश्क हैजनावकाकी लहैके लोवानमेरी-औरदेवताओंकीसुगंधहैमोरन रभकरनेवाला-भोरवायकोदूरकरैऔररुधिरवहने कोवंदकरे औरप्रमेहतयानमेसोजाकसोरपुरानेसो जाककोदुरकरैऔरदिलतथामस्तकतथानदरकोप राक्रमकोरपाचक औरवल कोरक्षक और गरम घकतीवालेके मस्तक पीडाकरैयाकीलागवूरोत्री रवदलयाकीमतंगी।यथलनासर्थात फारसी] मेंशीरनीरहिंदी मेंदूधमादिलहैजनावकाकोलहेके || गर्भनी स्त्रीकोधप्यानेसेवच्चेकीवुद्धतीवहीनी है। औरदूधकीवड़ाईवदुधावारताभीमिली है श्रोरघक ती पनीलापन और चिकनई औरमलाईसेंपनीली। पनमें प्रथमदरजामें संदी-मोररखुश्कीहै भोरचिकन ईमें पथमदरजामेंगरमर्द औरतरी है औरमठामेंदू सरेदरजामेंगरमी सोरतरीहोतीहै खीकेदूधसे उपर तगायकोदूधमहान है-वीरवाने में सकोदूधपराकनी होताहैयाकैनेचे गायकोदूध हे ओरभेडवकरीकोइंग नोकेदूधप्रहारपनायोडाहोता है और घोडीगधी विचराओरहिरनी-सादिकोदूधकाईमुनासिवदवाकी जगहकाममाताह मोरशीरसुतलकगणपकेदूधकोक - - - - - - n u A - - - - - - - -- - For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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