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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३४ - - - सौरजहाँभाफकेपरचढानेर्कडरहोंतोतलुओं कोगरमपानी में राधैपामसेकपडादरकरें औरपा मोमेंषाली सीगीलगाने की जरूरनहोनो उसेपाशो येसेपथमकरसोरेज्वरकोषकवाद औरज्चरकी विशेषगरमीके दिनों में पाशोयाकरनामने है और जोज़रूरतपडैतोमिरेशरमपानी-सौरनोनसेक| राहकनाकीरीतादवाईकेकाडेकोषालकीथेली मेंजाकेमोहपरमोहनालकैल्पकोईपतलीवस्तु छेददारवांधाहोभरकेमोहनालकोगुदामेंगषेनी रथेलीकोधीरे२दंवावेंकडकनामेंकीदवासातों में प्राप्तहीनोरजोरोगीकोकोईवापीसकेजुलावकी। दवापिलाके हुकनाकरैतोयाविधिसेच्छेधकार सेमुवादनिकलजायचोरटुकनाकीदवाविशेषगाडी नहोजओफुजलेभीर-आतमामेंनजासकेोरविणे यपतलीभीनहोजो फुज़लों में लिपटनसके औरगु| नानीहोजोमुवादच्छेधकारसेनिकालेओरको ईतेलभीमिलाहोताकेजलेसाप्तानीसेनिकला श्रावै॥अथतेलकीरीत॥जोतेलकोशरीर मेंलगा याजायथोवामरदनकरैजोनहिलेनंही-ओरथोडीमा लिससेनेलकीदुरगंधीदूरहोय मीरतुभ्रसरलेभाव हैऔरजोसमादेषेतोकाईमुनासिवपनाषकेबाधा नाचित है जोयासेज्योंकायोंमसर-प्राजाताहै। थजरुककीरीताअर्थात्तपिचकारीलगानादवाई योंकारसनथाभिजोवननथाकाठालेके औरजोकोई घी मिलानीहोतोकाजलसीमहीनकरकेमिलावैनोर - - For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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