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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - - - - - - - - - - - - - - - - डेघासनमेंभरेजोरोगीवावेजायजोनीचे के रोगों को।गुदासोरगरदारामसानागाशमातमइनके रोगोमेंनभि तक और उदरविकार ओरछाती ओर पहलू के रोगोमें कंधा तक ओरसवशरीरकेविका रमें कंठ तक रोगी कोडवानामचित है ओर-सावजा न कामरमपानीबोतलमेभरकेरोगीके प्रस्थान कोसे केतवभीगुएगदायक होता है।इनकवावकीरीता तिवफारामाहबंधेवासनमेंदवा को-ओटावाकोटी कनाजतारके एकदूसरा छेदनदारदकनावापरधरके असलीजोइपरधूऑपहुंचावै सोरसवशरीरकोधू आंधानकरनाहोलोरोगीकीनाइपरियंस टकके गरम दवा के वासनकेटकनाकोउतारलेऔर चेतरामजी धूओंकीविशेषगरमीशाप्ननहोय नही लोवेहोशीसारा जायगी।वखरकीरीता अर्थानधूनी जोसूमीदवामा साँचपरडालरकेवफारकेधकारसेउस्काधूऔशरीर कोपहुंचा पाशोयाकीरीतावफारेसेपीछेयाकी/ रीतचलीयाहोकरके यहरीन है कियाशोयाकीदवासे सवशरीरकापथम किताव होजाना सोरथासोथा ऐसेनस्थान में होना चाहियेज)हवाकापबंधनहोय ओररोगीकोगलेताईकपडासेटककेवाकेदोनोपोवथा शोयाकेगुनगुने पानी मेंधरै औरवाहीपानीकोघोटपर डालर के ऊपरसेनीचेकोसतेजवपानीकी गरमाईजात्रा तीरहैतवपामोकोकपडासेपोंछडाले औरऊपरसेनी चेताईवाधेऔरतलमाखलेराखेोररोगीकोकपर्डन, टाकेलिटादे दो तीन घडी पीछे नीचे केगावकपडापाले - Ramtammanamunavanarma Prammammamtapm - - mo rea For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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