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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२ - P ARAN जवारिशागुलकंदामामामुफरीहायाकूनी इनव स्तोंपरपानीपीनातथाकोई चर्कविनादरकारपीनाम चितनही परंतुरक्षाकारसेपीवैशरवतकीरीताशर वनको किसीमर्कमुनासिवकैसंगतथा पानी में घोलके याकारणासेपीनानचित है केपनलेपन केसववकरकेव तधुलजाय औरजारीकरदारीतागोलीतथाचूरनत थाकोई औरवस्तुजोघाँसीतथारुधिरथूकनेमादि ओरदम के रोगों को काम में आवैवाकामह मेंरपके धीरे-चूरोपीछेनिगलजायजोफेफडे कीनली औरफे फडे मेंअरछेपकारसेवाकोससरप्राप्तहोयोरवाके|| ऊपरविलकुलपानी पीनामचितनहीजोयासेवस्की नासीरजाती रहती है।रीताचटनीपरपानी मिलाके पीनाहानिकारकरीताभयारजातोरजुलाव कोदूसरेगोलीयाकोगुनमुनेपानीसे निगलले जोया सेदवाकीतासीरधवलहोजाती है औरगुलकंद मेंगुन गुनोपानी मिलाकेपीने से विशेषवलवानहोताहारी ताजोगोलीमाधाचूरन पचावकोवलवान करने को घाईजायवाके ऊपरपानी पीनेसेदवाईकीतासीरनिर वलहोजातीहै।दूसरेरोगोंकोचूरमतथागोलीके ऊपर कोईर्कमुनासिवनथाठंडाअथवागुनगुनापानीपी नसेतुर्नतासीर पाप्तहोंने के कारणचित है। फसलसातमी॥ अथलगानेकीदवाईकाम मेंलानेकीरीताके पकरणारीतासावजनमर्थातपानीकीनांदमें चिठनाादवाईकैकाडे में गुनगुनापानी मिलाकेऎसेची - - - - - - - - - For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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