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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १९ - IP । ठीकरा मेंहो कैलटकादेचौरकरामें फंडातमानपले कीमांचकरैनीरवीतलकेमोहकेनीचेंएक चीनीको प्यालोधरैजोवामें तेल टपक जायदूसरी विधियहकेगा अंडाको प्रौटाकेजदीदूरकरके एकथाली में मंदीरांच परतथाकडीधूप मेंकलेजानरफकोभंडाहो वातरफ कोचारकलेदूसरीनरफकोनीचारकरवतोतलचाली मिराहोजायगारातीसरीविधियहकेअंडाको नौटाके|| जदीनिकाललेवैऔरहाथसेरवूवमलकर साँचदिषाके | निचोडायच नागोजोकितेलनिकालने कीविधिएकत्तोमहकेधिनेनानको रातभर इतने पानी में भिजोवैजोसवपानीसोषजायपीछेशीशी में रखके वाहीपकारसेटपकानापकारसे अंडोंका। लनिकाला।दूसरी विधिमहकैगरमनिहाईपरनाजों कोघरके वहुनगरमहथोडेसेदवावेजोनेलनिकल डेवाकोजुदाकरलेजोकेईवरसाकरनेसेथोडेसेदार नों मेंकछूतेलइषड्डाहोजायहै।ओरदादतथाभाईया दिपर लगानाहोवैतोवेसाहीताजालगानासचिन थमरहमवनानेकी विधिमतमोरमच्छीक्रिया: तोयह कैसवदवाईतो छैवठकीहो औरतेलपाँचवटा काहोऔरम तेल सेनाधाहोवैौरयापकारसेवना वैकेपथममोमीरचरवीकोसंगगलावै श्रीरंगोंद। होतोचूरनकरकेमिलाजवच्छेधकारसे मिलना यसवदूसरीवस्तुकाजलमहीनपीसकेभिलावै॥ फसलहटी। पानेकीदवाईयों के काममै कोरीतरीत स्लान - - + - - - - For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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