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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३५ - - - - - - - - हकमेकेपर्करछेद में रषकेथोडीसीबूंदेपोहोंचादेजो विशेषपानीपानहोनेसेअतकडेरोगसंडवह माद गिगहोजातेहेंसवठंडीदवाहोनातचित है।यस ऊतकीरीनर्यातनाकमेंटपकानेकीदवारोगीके सीधा लिटाके पतलीदवानाकमेंटपकानाीरजो। रोगीपनेआपपतलीदवाको मस्तककीतरफबेंचे नोयाकोनाम फारसी मैनाक हैं परंतुगल्लासदीदा कीयहकहावत हैके पनलीदवाकहीटपकाईजायस वसकृत है। अथशमकीरीतार्यात हुलासमुना गंधितदवारोगकेदरकरने कोसुंधानाध्याफकी रीतसर्थात तिटीलंघीगोली को किसीमर्कता था तेलथवापानी घिसके ठंडीतथागरमलेपक। स्नातथाटपकानाभोरजोश्याफमहीनहोतोज्योंका ।। सोशरीरकेछिद्रतथानावरमें रघनाथशाफा कीरीतादवाकीलंबीश्पाफसुनासिवतेल में चुपड़ के तथावापरकिसीदवाकाचूरन वुरक के पतलीलर फसे गुदा में रखमाजोदस्तकीहाजनवंदहोगईहोतोदा स्तकीहाजनहोसावैराथसवगकीरीतसर्थ रंगनादवाको पीसके ठंडीहीरोगीकें बदन पर लगावै॥ ॥जमादसोरतिलाकीरीतागरमी कैरोगोंसेंडीश्री रसरदी कैरोगामेंगरमलगाना चाहियेसोरचौटतथा घावकोगुनगुनालगानाचित है।जमेरुधिरको पतला मोरवहादनेकेलीये।और पतलालेपईट्रीपरलगा| यजायतोसुपारीवचाके लगानामचितदेको केसुपा रीकीपालसत्पंतपतली औरमुलायमहीनीयसपर - - - For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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