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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir m- namseere -mm - manuruaama D - % - | क्रियाओंसे और रस्सों मेंवनालगीजेगोले और लंबीणेली नियूंटीजेसे २समयनातागयासारख नायागया औरहिंदी पुस्तकोंकलिषाकेधनवन्तवै द्यनेंजोके प्रथम मित्रानी वैद्यहएथेग्मोंर्नेपथमा मेंपारेकीगीलीवनाई और उस्कानामगुटकाधए सेंविशेषधाप्तहुए उस्मेंपीछे और वस्तुओकीगोली यांबनाई।मानाप्रथम माजूनकोसुकरातर्नेकनाई। यहकिताबुलजालमेंलिषाहै परंतुधाजीनेलिया है। केइस्कोदबूजालसनेबनायाप्रथमचूरनकोसहतमि लाकेवनापाथापच्छात और क्रियासि बनाईगई। औरउनकोचाशनी औरपरुतीकेकारणसेउनकेप्रमा करनामहें।जिसखमीणामुफरहाचटनीनामीको तेगए औरसर्वसंग्रहकीपुस्तकमेलिषाहेकैहिंदुस्तान मेंधनंतरधर्नेमाजूनकोवनायानसने गोलीकीसीचा शनीकडीबनाईथीशरवतधतसेमनुष्यहकह) तेहें कैसरवतकोफीसागोरसनामी–धनायापरंतशेख रईसवूनलीनेलिषाहै फीसागोरसनेतीफकतसिक जवीबनाईथीवतलम्सुसनेंसरवतकोवनायाथापा यमअनेकसीषधीकारसनिचोडकेभिठाईकैसंग चाशनीवनाईपीछेसूषीदवाकेकाडेसेवनानेलगे। औरधरमपालनामीवैद्यभदावलकेनेंउसेसातघका रकाकाडावनायाजसनेशरवतभीवनायापरंतुउसकी काडे में हीरवाकोईपथकनामनसकानरषायहतिक स्थामुनकीपुस्तकलिषाहमरहमाइस्कोपथमा यूनानकेहकीमधुकरातनंघमामाजसने अपनी पुस्त - - - - - For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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