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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हों सौरप्रति जोडू के लीये वेसी ही औषधी इषट्टीका रनी जरूरहीं साठ वें रोग ही वो हुन हो और हर रोग के लीये एक सौषधी में के ई सोषधी मिलानीपडें नमें व इतदिन ताई वलदवाईकामना रखने को दस में सहजकि यासे काम आवै ॥ ॥दुसरीफसल॥ बहुवचन औषधीयों के जारी करने की आदि में ॥ सफू फअर्थात चूरन और फंकी सवक्रियासों से यह प्रथम । क्रिया है हकीम देफोरी दूसने किता वुस्नान इस प्रकार से वरनन कीया है के अस्कली नूस के शिष्य सुकरातने । प्रथम इसे बनाया है यह वोह पिछला बुका रात नही है जो सिकंदर वादशाह के समय में नामी हुआ है पश्चा तपौषधीयों को जैसे जैसे काम में लाते गये तेसें तेसें । प्रथकर नाम पडते गये जेसें बत्ती बुर्कनी । फूंकनी त याकर्मो के अनुसार जेसे हदीक लाने वाली सौषधी औ रमरसरामवैद्यकीयद्दई सर्व संग्रह की पुस्तक में लि षा है के उन्नराखंड में एक हंस राज नामी वैद्य पैदा हुआ था उसनें हिंदुस्तान में चूरन वनाया था उससे पीछेएक जगरनाथ नामी कसमीर के मुल्क में पैदा हुष्मा उसनें धावादिक भस्म कर के चूरन बनाया। हुन्छ । अर्थात गो ली। कितावुस्नातमें लिखाहै के गोली योंके बनाने वालों के बहुत से नाम हें वाजों नें सो लोन दादा मादरी अफला तून को लिखा है और वाजों ने लुकमान को और वाजों में उस्केशिस जामा सव को लिखा है ॥ प्रथम तर और ता जा वस्तु सोसे छोटी सौरगोल २ घन तीथी पीछे और For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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