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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०६ - नागरमोथा। तेजपात नगरादोनोंघहमनानरकचूर । कुलीजनाजटामासीडीलाासपेद चंदन-चूरोना घरपावागावजुवाकेपनाविल्लीलोटनपावरसेराको टीइलायची जायफलावित्रीदरूनजनकरवी सा लवभिन्त्रीमस्तंगी।तीनश्तीलामुनक्कापसेर निर्मला| शहतरसेर।२५सेर पानीदरयावके में दोगत दिन भिजो कोपाधपाबगुलावकेफूलडालके सेरचर्कचे। औरहेमाशेकैशरकीपोटलीनीचे फेंक केरंदे लगा वैवर्कगुलसंवुल॥जीताकतदेने वाला और वलवढाने वाला और आनंद देनेवाला।और मस्तर करने वाला विधि संचुल के फूल सक्जीदूरभा करकेगुलावकेलागुलमंडीसव छाया में बाकेवाधरसे। चमेली के फूलनाधसेरताजाले केश्चर्ककीक्रियासेञ्चर्कचेपर्कमाजजी चितघसन्नकरै-चौर इन्द्री कोवलवानकगाविगगाजरसेर२५हीछिलकादूरकरके।किशमि। शीरप मुंहबंधीगची में जोशदेके देगचीवंदकर देओनस्सेधूम्याननिकलापश्चात दालचीनीकुच|| लकोगुलावकैलानागरमोथा।विजोरे कालिमा लकाराचोवचीनी जौकुटकरकोवहमनसुपेद जोकु| टकेचाधरपानासपेदचंदनरछटाकासुपेद इलाय जी दो तोले मिलाकै अर्कचेयर्कपान।जो दरपीडाऔर पेट के दर्दचौरवायलकोदूरकरै| और इन्द्री कोधवलकरै।विधाताजापानवग|| ५०० सोपोदीना ताजासाधपाव।कुलीज - - - - - - -- -- - - For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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