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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६५ - + जाचोवचीनीनावाचाधरयावादोंनोंचंरनचराष सासयोधनियोंगावजवाकेपत्ता विल्ली लोटनास्त घसा कालीहर्डीकसम के फूलानीमकोफूलाबकाप नकैफूलाबाइंडीयावन्सकाचूराएकरछटोंकले के नर्क कीराहसे सातसर अर्कचले अधठहो के जो इनवस्वसें कितनीवस्तयोंकाचर्कइसी तालपारको र योजायनकभीयहरणरहताहै।श्रीगुलमुंडीपि नपापरेकेपना।पावर सेराचोवधीनी घसानाधया वाकावलीहड़ीवहेडा। चामलोषतमी के फूलापला विकेलाएकछटगका सेरपानी में भिजोकै श्रीरलंबी यीयाको काटकेडेडसेर औरपेठेकेदकरपाबश्शेरगा। यकोदधमिलाके पसेर थर्क.ग्रंथवाला । लाविल्लीलोटनाकासनी के वीजाकसीदी की अबुको छिलकाकासनीकीजरकोछिलकाकाचोरेशमएस करछटाकायामला.....कचनालकैपेड केभीत रकीछालासागोंदानीमकेपेडकीछालाजलनीम, |मुंडीनीलोफरकेफूलागुडहलकेफूलाचीवचीनीक समके फूलायाधरपाव १० सेरपानी में भिजाके और सेरबहपानी जोनीम के पेडसेटपकताहै सोडालके सर-अर्कधीच _फसल नवासीवी चिनपसन्न करनेवाले औरताकतवटानेवाले औररोगदूरकरनेवाले यकीमायाजोनिवी लकोवलवान करेसोर इन्ट्री कोवलवानविशेषक रि-सौरहोलदिलीकोदूर करै॥विधि॥चीवचीनी - - For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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