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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org १३८. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डेसे भुने चने चावै ॥ श्रथवा ॥ खूनी बवासीर को अच्छा है || विधि ॥ विनोले की भीगी २ मासे। रसोन ९ मासे । सुपेद मिश्री ३ मासे चूरन कर के माय सौर ऊ पर से ठंडा पानी पीवे ॥ फसल हुक्क्या बनवी ॥ -प्रसन्न करने वाले और वेलदेने वाले श्रीरमस्तक के रोग दूर करने वाले सरवतों में || पारवतमाव् जुवा ।। जो होल दिल्ली और मनुष्यों से नफरत करने बालारोग और कंठ की सूजन को गुण करें है । वि। धि || गाव जुवों के पत्ते २ तोले । बनफशा के फूल ए लाव के फूल। उस्तु खुडूस । राम तुलसी। मानों मासे । विल्ली लोटन | नीलोफर के फूल एक तोले खाध से रपानी में ४ पहर भिजो के प्रोटावें फिर थोड़ा मल के छान के साध पावगुलाब मिला के डेठ पाव सुभेदा पूरे । की चाशनी सरवन की करें ।। शरवत अव सम्|| यहूहूकीम मसी हुज मान ने जहां गीर वा दशाह के लीये तैयार कीया जो होल दिली दूर करने को विशेषगुणदायक हुभ्या।। विधि || कन्हारे नाम ९० तोले। विल्ली लोटन १ तोले ३पाव पानी में भिजोके प्रोटा वैोरपाव सेर गुलाव जल खौरा ईपाव मिश्री मिला के चाशनी करें। संगयशवछे मासे। यवीधे मोती २ मासे केवडे के अर्क में घोट के सुपेद चंदन। कच्चा अगर। रूमी मस्तंगीसात २ मासे चूरन कर के मिलावै ॥ शरवन सेव ॥ प्रस न्न करने वाला दिल मोरउदर कोयल देने वाला। For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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