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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ९२२ नदोरतोलेापानी पीस के नौरथाक केपनानगर परपीलेहो के गिरपडे हों लगाकेतहकरके सुधावै औरएक कूलडामेंषके कपरोटी करके जलावेठस कीभस्मयोडीमूह में राधेतीवहतजलदी-नारामही अफसल सेंतालीसवी। उदको बलदेनेवाले श्रीरभोजन पचानेवालेात्री रवादी-ौरवायगीलाावायशूलदूरकरनेवालेचूरनों मसफ॥ उदरकोषनधान करै विधि। सीतलचौनी जटामासीनरकचूरारूमीमस्तंगी। मी अनारकेशने विजोरेकाछिलका।पाँचश्मा सेोलोगजावित्रीनीनरमासे।कच्चाऋगरतोलभर औरसवकीवरवरसुपेदरालेनसथवा पहचूरनजदर के विगरजानेको चौरजलनकाऔर अचेतनता कोदूरकरे औरभोजनकोपचावैौरमों हकीरगंधीको दूरकरैदिलीरमस्तकको वलया प्रकाविधिगतजापवजाचगरातगरामस्तगी जवाई। राम तुलसीकालाजीरादालचीनी छडीला दोनोंइलायची। मिर्चीपीपर।सोहा लोंगायफल। भीगेश्यनारदानों सववएवरोरसवकीवरावरमि|| श्री लेनी सफवजूरजदरकोवलघाप्तकरे नीरवायको दूर करे विधिाकालाजीयातजाश्च जवापमानजमोदावडी इलायची केदानेछन्मा सोलोंगरमासेोप्तोंडापीपर पाँचमासोचौरसवसेडी बाखूएलेना।सफफाक्षुधालगाने मेंश्नपनेतुल्य नहीषताहविधासाभरनॉनश्राधपावफोडके। - - - - For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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