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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org १२३ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir किसी वासन में रष के आँच पर धेरै और जालिस। सिरका इस के ऊपर छिड़ के मौर लकड़ी से हला तो जाय जवयाध पाव सिरका सोच आय नव जता | र ले ॥भुनाधनियाँ | जारिश्क । भुना अनारदाना नं तरीक। एक तोल मिला के घूरन कर ले ॥ अथ वा ॥ पोदीना रूषो ।१ तोले। काली मिर्च छे मासे ।" अजमायन। सोंठ। वाय विडंग। लोग तीन मासे ! सेंधा नोन नों मासे लेना ॥ सफ्फ हिंदी हिंदुस्ता नी वैद्य का चलाया हुच्या क्षुधा लगाने में अजमाया खोर अपनी तुल्प नहीं रष ता है ॥ विधि॥नकछि कनी। मूली। पोदीना । कटेरी। नाक का बारमथक २ निकाल के सब बराबर मिला के। अजमापन का तर तथा दाल चीनी के स्तर में मकरो के सूरन बना लैवै ॥ सफूफ नमक सुलेमानी। जो भो जन के पचाने में अपनी तुल्प नहीं राम ता है और जो मुर्गा के खंडे की जदी में मिलावै तो कामदेव कोश | वल करें है || विधि|| काला नोन। सौभरनोंन । ला होरी नन। नोसादर सात २ तोले | अजमोदा वनमा यन। काली मिर्च | सोंठ। लोंग। कालो जीरो जाय फा लाजावित्री । एकर तोले जो कुट कर के आाधसेर घालिस सिरका डाल के मोटावे जो सव एकसा हो के सूघनाय तव सव का चूरन कर ले || सफफ ॥ जो उदर की तरी को दूर करें खीर भोजन को पचावै ॥ वि धि॥ दालचीनी | नागर मोथा । अगर। अजमापन | सौंफ बताई। काली मिर्च । पीपर। छोटी इलायची For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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