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चित्रं
THE SEVENTY-FIVE DHARMAS (see the second chapter of the Abhidharmakosa).
(आकाश संस्कृतधमाः
असंस्कृतधाः 3 (Sect. 32) प्रतिसंख्यानिरोध
अप्रतिसंख्यानिरोध रूपाणि
चैनधाः (=चिन्नसंप्रयुक्तसंस्काराः) चिनविप्रयुक्ताः संस्काराः II (Sect. 26)
Sect. 30
14 (Sect. 31) चक्षुस्
प्राप्ति
जाति श्रोत्र
सप्राप्ति स्थिति प्राण इंद्रिय
सभागता जरा विज्ञान मनस् चित्र
असंज्ञिक अनित्यता काय ) [Vyakhya, fol. 112 a,
असंज्ञिसमापति नामकाय 1.2, says: 'एकार्थमिति'
निरोधसमापति पदकाय यञ्चितं तदेव मनस्तदेव
जीवित व्यंजनकाय गंध विषय विज्ञानमित्येकोऽर्थः]
शब्द
मोह
संज्ञा
वीर्य
स्पर्श
अविज्ञप्ति महाभूमिका धमाः कुशलमहाभूमिका: क्लेशमहाभूमिकाः अकुशलमहाभूमिकाः उपक्लेशभूमिकाः अनियतभूमिकाः 10 IO
10 (Sect. 69) 8 (cf. Sects. वेदना श्रद्धा
अहीकता क्रोध
67,69) प्रमाद अनपत्रपा सक्ष
कोकृत्य चेतना उपेक्षा कौसीद्य
मात्सर्य
मिड स्पर्श अश्राद्य
ईयी
वितर्क सपत्रपा स्यान
प्रदाश (P.palasat) विचार मति अलोभ औद्धत्य
विहिंसा
राग सद्वेष
उपनाह
प्रतिघ मनस्कार सहिंसा
माया
मान अधिमोक्ष प्रश्रधि
शाच्च
विचिकित्सा समाधि अप्रमाद
मद
छंद
स्मृति
संस्कृत 2, i.e.
(चिन्तविप्रयुक्त 14 असंस्कृत . . . .
75 dharmas.
N. B. Those terms are explained in the Abh.Vyakhya, fol. 98 and following, and fol. 376 a, l. 2, and following.
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