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दीपिकानियुक्तिश्चअ०४ सू०२१ किन्नरादिव्यन्तराणां ज्योतिष्काणां च देवानामिन्द्रादिकम् ५२५
पितृ-गुरू-पाध्यायसदृशा अवसेयाः २, पारिपद्याः-परिषदि भवाः पारिषदाः वयस्यसदृशाः मित्रस्थानीया ३।
आत्मरक्षकाः ---- उद्यतायुधाः-रौद्राः-पृष्ठतोऽवस्थायिनः ४ अनीकाधिपतयः-सेनापतिस्थानीयाः ४ । भवनपतिदेवानां च-इन्द्रसामानिकत्रायस्त्रिंशक-लोकपालपरिषदुपपन्नका-ऽनीकाधिपत्यात्मरक्षकेति सप्त भवन्ति, तत्र सामानिकादयः षट् तत्तदिन्द्रस्य-आज्ञैश्वर्यभोगोपभोगादिविधायकाः भवन्तीति ।
के पुनः-कल्पातीताः-१ ये केचन कल्पेभ्यः पूर्वोक्तेभ्यः षोडशसौधर्मादिस्वर्गेभ्योऽतीता अतिक्रान्ताः त एव-उपरितनक्षेत्रवर्तिनो नवग्रेवेयकदेवाः पञ्चानुत्तरोपपातिकाश्च कल्पातीतवैमानिकाः-अहमिन्द्राः, अहं-स्वयमेव स्वेषामिन्द्राः । न तु-तेषामन्ये केचनेन्द्राः सन्ति । अतएवतेऽहमिन्द्रा व्यपदिश्यन्ते, नापि-तेषां सामानिकादयो वानव्यन्तरा भवन्ति । ते खलु-आदिमत्रिकमध्यमत्रिकोपरितनत्रिकेति नवग्रैवेयकाः, विजय-वैजयन्त–जयन्ताऽपराजिसर्वार्थसिद्धाश्चेत्येवं पञ्चानुत्तरौपपातिकाश्च वैमानिकदेवाः स्वेषां स्वेषामाज्ञैश्वर्याधिपत्यपौरपत्यस्वामित्वभर्तृत्वपोषकत्वादिकं स्वयमेव कुर्वन्ति इत्याशयः । उपाध्याय के समान समझना चाहिए ।
(३) पारिषद्य-जो मित्रों के समान हो ।
(४) आत्मरक्षक-जो अपने शस्त्रास्त्रों को उद्यत रखते हैं, रौद्र होते हैं और इन्द्र की रक्षा के लिए उसके पीछे खड़े रहते हैं।
(५) अनीकाधिपति-ये सेनापतियों के समान होते हैं।
भवनपति देवों के इन्द्र, सामानिक, त्रायस्त्रिंशक, लोकपाल पारिषद्य, अनीकाधिपति और आत्मरक्षक ये सात आज्ञा ऐश्वर्य भोगोपभोग के विधायक होते हैं।
कल्पातीत देव कौन हैं ? इस प्रश्न का उत्तर यह है कि जो देव पूर्वोक्त सौधर्म आदि बारह कल्पों से परे हैं ऊपर हैं वे नौ प्रकार के प्रैवेयक देव और पाँच प्रकार के अनुतरौपपातिक देव कल्पातीत कहलाते हैं। वे सब अहमिन्द्र होते हैं-आप ही अपने इन्द्र हैं। उनका कोई अन्य इन्द्र नहीं होता। इसी कारण वे अहमिन्द्र कहलाते हैं। उनमें सामानिक आदि विभाग नहीं होते । ऐसे कल्पातीत देवों में नव ग्रैवेयक देव नीचे मध्य और ऊपर ऐसे तीन त्रिकों में तीन तोन संख्या से रहते हैं। अनुत्तरोपपातिक देव विजय-वैजयन्त जयन्त, अपराजित और सर्वार्थ सिद्ध नामक पाँच अनुत्तर विमानों में रहते हैं । वे स्वयं ही अपने आज्ञा ऐश्वर्य, अधिपतित्त्व, भर्तृत्व पोषकत्व के विधायक होते है । भवनपति देवों के–इन्द्र सामानिक, त्रायस्त्रिंशक लोकपाल-पारिषद्य-अनीकाधिपति और आत्मरक्षक, ये सात भाज्ञा ऐश्वर्य के विधायक होते हैं।