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एवं-षट्स्वपि दिक्षु प्रयाताः ।
तस्मिन् काले तस्मन् समये खलु वर्षसहस्रायुष्को दारकः प्रयातः, ततस्तस्य दारकस्य मातापितरौ प्रहीणौ भवतः नैव ते देवा लोकान्तं संप्राप्नुवन्ति, । ततस्तस्य दारकस्यायुः प्रहीणं भवति नैव ते देवा लोकान्तं सम्प्राप्नुवन्ति, तत स्तस्य दारकस्याऽस्थिमज्जाः प्रहीणा भवन्ति, नैव ते देवा लोकान्तं सम्प्राप्नुवन्ति, ततस्तस्य दारकस्य सप्तमोऽपि कुलवंशः प्रहोणो भवति नैव ते देवा लोकान्तं सम्प्राप्नुवन्ति ।
ततस्तस्य दारकस्य नामगोत्रमपि प्रहीणं भवति नैव ते देवा लोकान्तं सम्प्राप्नुवन्ति । तेषां खलु भदन्त ! देवानां किं गतं बहुकम् अगतं बहुकम् ? गौतम ! गतं बहुकम् न-अगतं बहुकम, गतात् तद् अगतम् असंख्येयभागाः । अगतात् तद् गतम् असंख्येयगुणम् ____ "एवं-महान् गौतम ! लोकः प्रज्ञप्तः, इति । एवं-देवानां विमानमहत्वञ्च २-द्वितीयपदे प्रज्ञापनायामुक्तम्-के महालया णं भंते ! विमाणा पण्णत्ता ! गोयमा ! अयं णं जम्बुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमुदाणं मज्झे खुड्डुलए, देवे महिड्डिए जाव महानुभागे जाव इणामेवत्तिकटु केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं तिहिं अच्छराणिवातेहिं तिसत्तखुत्तो अणुपरियद्वित्ता गं हव्वमागच्छेज्जा, सेणं देवे ताए उकिट्टाए तुरियाए चंडाए चवलाए सीहाए उदुयाए शीघ्रतापूर्वक झेल सकता है, ग्रहण कर सकता है। देवों की गति इतनी तीव्र होती है। ऐसी तीव्र गति से एक देव पूर्व दिशा की ओर चला, इसी प्रकार छहों देव छहों दिशाओं में रवाना हुए ।
उस काल और उस समय में एक हजार वर्ष की आयु वाला एक बालक उत्पन्न हुआ उसके माता-पिता मृत्यु को प्राप्त हो गए। फिर भी उस उत्कृष्ट गति से जाते हुए वे देव लोग के अन्त तक नहीं पहुँचे । तत्पश्चात् उस बालक की आयु पूर्ण हो गई। तब तक देव उसी तीव्र चाल से चलते ही गए । फिर भी वे लोक के अन्त तक नहीं पहुँच पाये।
तत्पश्चात् समय बीतने पर उस बालक का नाम-गोत्र भी मिट गया । तब तक निरन्तर चलते-चलते भी वे देव, लोक का अन्त नहीं पा सके ।
प्रश्न-भगवन् ! उन देवों ने जो फासला तय किया बह अधिक है, या जो फासला तय करना शेषरह गया, वह अधिक है ?
उत्तर-हे गौतम ! तय किया हुआ फासला अधिक है तय न किया हुआ फासला अधिक नहीं है । तय को हुई दूरी से तय न की हुई दूरी असंख्यातवाँ भाग है तय न की हुई दूरी से तय की हुई दूरी असंख्यातगुणी है । हे गौतम ! लोक इतना बड़ा है; अर्थात् इससे कल्पना की जा सकती है कि यह लोक कितना महान् है !
इसी प्रकार प्रज्ञापना सूत्र के द्वितीय पद में देवों के विमानों की विशालता प्रदर्शित करने के लिए कहा है