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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Achar पार्श्व ( पास ) - २३ वें तीर्थंकर १-४८,५८,६० पालक ( पालक ) - अवतिसुत, निर्वाण दिनपर राज्याभिषेक, गज्यकाल ६० वर्ष ---- १-७१,७२ पांशुखार ( पंसुखार ) - मुनि के लिये वय ४-८ पिप्पल ( पीपल) - उदुम्बर विशेष ३-९ पिलखन - उदुम्बर विशेष - ३-९ पीठ ( पेंडाल )- १० वें रुद्र १-५५ पुण्डरीक ( पुंडरिय ) - ६ ठे नारायण १-५३ -७ वें रुद्र -१-५५ पुण्य ( पुण्ण ) - ९-२० पुद्गल ( पोग्गल ) - द्रव्यअजीव १-४; ९-१० पुद्गलपर्याय ( पुग्गलपजाय ) - ९-११ पुद्गलविपाकी (पुगालविवाई )- कर्म १२-९ पुनर्वसु ( पुणव्वसु ) - नक्षत्र १-१६ पुरुषवेद ( पुरिस.) – १२-२१ पुरुषसिंह ( पुरिससीह ) - पाँचवें नारायण १-५३ पुरुषोत्तम ( पुरिसुत्तम ) - चौथे नारायण १-५३ पुष्पदन्त ( पुष्फयंत ) - नौवें तीर्थकर १-४७ पुष्य ( पुस्स ) - नक्षत्र १-१६ पुष्यमित्र ( पुस्समित्त ) - राज्यकाल ३० वर्ष १-७२ पूर्वभाद्रपद ( पुव्वभद्दपदा ) - नक्षत्र १-१८ पूर्वा (पुव्वा) - नक्षत्र १-१६ पूर्वाषाढ़ा (पुव्वासाढा) - नक्षत्र १-१७ पृथक्त्ववितर्कवीचार (पुधत्तसवियश्क-सवीचार) १३-२४,२६ पृथ्वी (पुढवि) - एकेन्द्रिय जीवभेद ९-९ पृथ्वीकाय (पुढवीकाय) - जीव ७-४१ पैशुन्य (पेमुण्ण) - भाषा भेद ५-४२ प्रकीर्णक तारा (पइण्ण) - ज्योतिषीदेव १-१४ प्रकृति (पगदि) - स्वभाव १-३ (पयडि)- कर्मभेद १०-९ प्रकृतिबंध (पयाडि)- ९-२६ For Private And Personal Use Only
SR No.020812
Book TitleTattva Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherBharat Jain Mahamandal
Publication Year1952
Total Pages210
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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