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निर्जरा (णिजर ) - भावना ७-२
- कर्मक्षय दो प्रकार का, भाव और द्रव्य ९-२९ निर्विचिकित्सा ( णिन्विदिगिंछा ) - सम्यक्त्व का तीसरा अंग ३-५ निर्वेद ( णिव्वेअ ) - सम्यक्त्व का दूसरा गुण ३-६ निःशंका (णिसंका) - सम्यक्त्व का प्रथम अंग ३-५ निशिभोजन-त्याग ( णिसिभोयण- ) - छठी प्रतिमा ३-२८ निशुम्भ ( णिसुंभ ) - ५ वे प्रतिनारायण १-५४ निश्चय जीव ( णिच्चयजीव )- चेतनायुक्त द्रव्य ९-३
( णिच्चय नय )- ९-३, १४-१८ निषद्या-परीषद -८-२०, २१ निषध ( णिसिध ) - हरिक्षेत्र के उत्तर में कुलाचल १-३२ निष्कांक्षा (णिक्खा ) - सम्यक्त्व का दूसरा अंग ३-५ नीच ( नीय) - गोत्र कर्म का भेद १०-१४ नील ( णील ) - विदेह क्षेत्र के उत्तर में कुलाचल १-३२
- लेश्या १२-४८ नेमि ( णेमि ) - २२ वें तीर्थकर १-४८, ६० नैगमनय ( नेगम-) - तीन प्रकार का १५-२७ नोआगम ( णोआगम) - द्रव्य निक्षेप का भेद १६-६, ७ नोआगमभाव (पोआगमभाव )- भाव निक्षेप का भेद १६-९ नोकर्मवर्गणा (णोकम्मवग्गणा) - देह आदि की रचना योग्य पुद्गल द्रव्य १२-६४ नोकर्म शरीर ( णोकम्म सरीर ) -- औदारिकादि चार प्रकार का १२-२० नोकषाय ( नोकसाय ) - नव प्रकार का १०-१०, ११-१५ न्यासहरण ( नासहरण ) - सत्याणुव्रत का अतिचार २-११
पंकसभा ( पंकपहा ) - चौथा नरक १-८ पंचास्रव (पंचासव) - मिथ्यात्व, अविरति, प्रमाद, कषाय और योग ४-१ १ पंचगव्य (पंचदव्व ) - जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म और काल १-२ पंचनमोकार ( णमोक्कार ) मं. २ पंचेन्द्रिय जीव-९-९ पंचोदुम्बर (पंचुंबर ) - बड़, पीपर, पाकर, उम्बर, कटुम्बर, ३-८ पदार्थ ( पयत्य ) - नौ, सात तत्त्व, पुण्य और पाप ३-७
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