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तत्वनिर्णयप्रासादऐसें मौन करके कहके भगवत्के चरणोपरि पुष्प स्थापन करे. । फिर भी जलाई फूलोसें पूजापूर्वक कहे. ।। यथा ॥
“॥ स्वागतमस्तु सुस्थितमस्तु सुप्रतिष्ठास्तु ॥" तदपीछे फिर पुष्पाभिषेक करके। " ॥अर्घ्यमस्तु पाद्यमस्तु आचमनीय मस्तु सर्वोपचारै पूजास्तु॥" इन वचनोंकरके वारंवार जिनप्रतिमाके ऊपर जलाई पुष्पारोपण करे । तदपीछे जल लेके।
ॐ अर्ह वं। जीवनं तर्पणं हृद्यं प्राणदं मलनाशनं॥
जलं जिनार्चनेत्रैव जायतां सुखहेतवे ॥१॥ यह मंत्र पढके जलकरके प्रतिमाको भिषेक और स्नपन (स्नात्र) करे.॥ तदपीछे चंदन कुंकुम कपूर कस्तूरी आदि सुगंध हाथमें लेके ।
ॐ अर्ह लं। इदं गंधं महामोदं ब्रहणं प्रीणनं सदा ॥ जिनार्चने च सत्कर्मसंसिद्धय जायतां मम ॥१॥ यह मंत्र पढके विविध गंधकरी जिनप्रतिमाको विलेपन करे.॥ तदपीछे पुष्पपत्रादि हाथमें लेके। ॐ अर्ह क्ष । नानावर्ण महामोदं सर्वत्रिदशवल्लभं ॥ जिनार्चनेत्र संसिद्ध्यै पुष्पं भवतु मे सदा ॥१॥
यह मंत्र पढके जिनप्रतिमाके ऊपर सुगंधमय विविध वर्णके पुष्प चढावे.॥ तदपीछे अक्षत (चावल) हाथमें लेके। ॐ अर्ह तं। प्रीणनं निर्मलं बल्यं मांगल्यं सर्वसिद्धिदं॥ जीवनं कार्यसंसिद्धयै भूयान्मे जिनपूजने॥१॥ यह मंत्र पढके जिनप्रतिमाके ऊपर अक्षत आरोपण करे.॥
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