________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
तत्त्वनिर्णयप्रासादइअ जावजीवं चिय सञ्चित्ताईण भोगपरिभोगा॥ एएसिं पुण संखं दिवसे दिवसे करिस्सामि ॥ ३४॥ इत्तिअमित्तं मणिकणयरूप्पमुत्ताइभूसणं अंगे ॥ इत्तिअमित्तं गीअं नटं वजं च उवभुजं ॥ ३५॥ वजेमि अहरुदं झाणं अरिघायवयरमाईयं ॥ दक्खिन्नाविसए पुण सावज्जुवएसदाणं च ॥ ३६॥ तह दक्षिणाविसए हिंसगांगहोवगरणाइदाणं च ॥ तह कामसत्थपढणं जूयं मज परिहरेमि ॥ ३७॥ हिंडोलायविणोअं भत्तित्थीदेसरायथुइनिंदं॥ पसुपक्खिजोहणं चिय अकालनिई सयलरयणी ॥३८॥ इच्चाइपमायाइं अणत्थदंडे गुणव्यए वजे ॥ वरिसे इत्तिअसामाइआई तह पोसहाई इत्ताइं ॥ ३९॥ इत्ताइं जोअणाई मह दिवसे दसदिसासु गमणं च ॥ साहण संविभागं भोयणवत्थाइसु करोमि ॥४०॥ पढमं जईण दाउण अप्पणा पणमिऊण पारेमि ॥ असईई सुविहिआणं भुंजेमि अ कयदिसालोओ॥४१॥ इअबारसविहमिमिणा विहिणा पालेमि सावगं धम्मं ॥ अगलिअजलस्सपाणं न्हाणं मरणेवि वज्जेमि ॥४२॥ कंदप्पदप्पनिट्ठीवणाई सुअणं चउव्विहाहारं ॥ सजिणजिणमंडवंते विकहं कलहं च मुंचामि ॥४३॥ अमुगंमि महागच्छे अमुगस्स गुरुस्स सूरिसंताणे ॥ अमुगस्स सीसपासे पायंते अमुगसूरिस्स ॥४४॥ अमुगम्मि वच्छरे अमुगमासि अमुगम्मि पक्खसमयंमि ॥ अमुगतिथि अमुगवारे अमुगे रिक्खे अ अमुगपुरे ॥१५॥
For Private And Personal