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तंडुल०
।। ६२ ।।
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लीए किया, बलियाए बहियाएं, खयरमुसलपच्चाहयाणं ववगयतुलक शियारा अखंडि या प्रकुडिया फलगसरिलयाएं, इकिक्कत्री याणं, श्रतेरसवलियाणं पडणं, सेत्रियां पमागढ, को सायंपो, सहसाहस्तिन मागदो पक्षो विसादस्सीएवं कबले( धीमे धीमे ) खांमेला, बलवाली स्त्रीए बडेला, खेरना मुशलश्री बडेला, गयलां वे फोतरांजनांकलिन जेमांश्री एवा, श्रखंम, नही फाटेला, स्फटिकसरखा निर्मल, एकेक बी जुदा जुदां थयेलां, एवा साडावार वलीना प्रमाणवाला चावलोनो एक प्रस्थ ग्राय, ते प्रस्थनुं प्रमाण मगधदेश संबंधि जाणवुः प्रस्थ वे प्रकारना वे एक कल्लप्रस्थ अने बीजो सायप्रस्थ. चोवजार (कलोनो) एक मगधदेश संबंधि प्रस्थ थाय, अने एवा एक प्रस्थमांथी बेहजार कोलीया प्राय. तेमाना वत्रीस कोलियानुनो पुरुषनो आहार होय बे, अहावीस को
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अर्थः
।। ६१ ।।