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१३८ ।
वर्णबीजकोषः शब्द अर्थ शब्द अर्थ शब्द
अर्थ भण्टीशफा-झ ढक्का -द
तरल:-त झषः-प ढल:-ढ
तरथक्तिः -लु झषध्वज:-क्लीं ढान्तः-ण
तरिः -न झिण्टीश:-ए।
॥ त ॥
तरुण:-ल ॥ ॥ तक्ष:-य
तर्जनी-ई बान्तः-ट तक्षकः-च
तलम्-फट् ॥2 ॥ तटम्-हूँ
तस्करः-ङ टङ्कहस्ता-ट तड़ित-ष
तापनः-म टङ्कारा-ट तड़िदाभ:-त
तापिनी-काखाबाम टङ्कारी-ट तडिल्लता-ऐ
तामरसम्-वावहू टादि:-टाठ
तत्त्वरश्मि:-स्त्री तामसी-आ।औरचात टान्त:-ठ तदादिः-स
तामालिनी-ऊ तनुक्रान्तः-न
तार:-
ऋ तात्राँ, ठङ्कारिणी-ठ तनून:-टायायं
तारकम्-त्राँ ठद्वयम्-स्वाहा तनूनपात-रार
तारक:-ओताक्षाॐ ठान्तः-टाड तन्द्री -म
तारत्रयम्-ऐं।ह्रीं|श्रों तपन:-ऋाऋानाम
तारा-टाऊत्राँत्रिोंत्रों डकारिणो-झ
तपसः-ऐ।छासाद्रों ताराधिप:-ए। सादा डट्सुः -3 तपस्तक्ष:-इल
ताराधीशः-ठं डमरु:-ख तम:-औ।तानालाल तारापति:-
ऐसादाँ डाकिनी-ओ।ओ।:(:) तमिस्रा-डाझ
तारापीड़:-
ऐसाद्राँ उफास्फे तमी-त
तारिका-त्र डाकिनीप्रियः-फ तमोनुत्-रार
तारिणी-ह डामरः-ड
तमोबीजम्-ताल तारिध:-रूँ डामरी-ड
तमोहर:-
ए साद्री तारिष:-रूँ डिम्भ:-हां तरङ्ग-वाप्लू।
तायध्वज:-आउाक्लीं ॥ढ।। तरणि:-णाम
तार्तीयः-हसौं।सोः।सों ढकारिणी-ढ तरन्त:-रूँ
ताल:-घ
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