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वर्णबीजकोषः शब्द अर्थ शब्द
अर्थ चित्राटीर:-एािसाद्री छेदनम-द चित्रिणी-इ
छिन्नमस्ता-वीं चिन्ता-ध
छिन्ना-ण चिन्तामणि:-काक छाटिकास्य:-फट् चिन्तामणिबीजम्
क्षम्य जगती-जालालं चिन्हम्-ह
जगत्-लानानमः चूड़ा-वषट्
जगत्कर्ता-ह्रीं चूर्णिताबुद्धिः
जगत्पार्श्व:चूर्णितासिद्धि:
जगत्सारतर:-ल चेटिका-उ
जगदीश:-आउक्लिीं चेटी-ह्रीं
जगद्धात्री-ऋाऔोडीद चेतन:-च
जगद्भावीन्द्र-व चेष्टा -य
जगन्नाथ:-आउक्लिीं चैतन्यम-ह
जगद्बीजम्-लाम चैलम्-हसौम
जगद्भावी-व चौरकः-त
जगद्योनिः-ऐ ॥ छ। जगद्रावी-व छगलण्ड:-ब
जगन्मयी-ल छटाटोप:-छ
जगन्माता-और छत्रम-छ
जङ्घक:-ए छदिनी-फ
जङ्घजः-ए छवि:-फाहाहँ
जङ्घा-ए।प छागलण्ड:-ब
जछिनी-म छागवाहन:-रारं जटाछान्तः -ज
जटाधर:-ए।कागासाहाक छाया-ओछि
जटाल:-ज छायाछत्रम्-क्ष
जटिनी-ट छायामृगधरः-ए। सादा जटिल-त छिदा-भ
जटीताया-र
शब्द अर्थ जटेश:जठरम---माष जठरगः-म जठरसंस्थित:-म जन:-(अं) जनक:-ज जनाधिप:-ढ जनार्दन:-आउाझाक्लीं जनेश्वर:-उ जपज:-ज जपादिः-फ जमौजेश:जम्भादि:-स्त्री जय:-जाम जयत्र:-ज जयदाजयन्तः-एगाजासाह जयन्ती-जात जयन्तीपुरम-त जयन्तीप्रदा-आ जयश्रीऽ-औश्री जया-उलाकोजाझाय जयानन:-क जयापादः-फ जयावह:-भ जयावहा-ज जयिनी-गाठाया।
हस्लव्यूं जरा-खाट जराट-ओ
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