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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १३४ शब्द गौरी - इ । गाघ ग्रन्थि:-थ ग्रसिनी-क ग्रहः-थ ग्रहपतिः - ग्रहाधीश:-: :-भ ग्रामणी:- पाब ग्रावा-द ग्रास:-क्ष ग्रासिनी - हं ग्राहः -थ :-म ग्राहक:-थाली: ग्लों - ऐ || साद्री ॥ घ ॥ घटाटि:- अं घटिकात्मिका-छ घटोदरः-ग घण्टाट:-घ घण्टाधारिणी-घ घण्टाबीजम् - घोम् घण्टि-घ घण्टिक:-: (अ:) घण्टिका-ऋ। (अं)।ध घण्टी-म घण्टेश:- घ घनम् - वावं घन: - घावभँ घनगर्जिनी अर्थ -भ घनरसः -व | वं घनवट - -न शब्द www.kobatirth.org वर्णबीजकोष : घनस्मरः - घ घनहारः-घ घना- ए घर्वरध्वनिः - ञ घर्मटी-इ घस्मरा-घ घुरा-झ घुघुर:-घ घूर्णक:-ठ घृणा - ऐ घृतम् - वावं घोणा - प्र घोरः-घ घोरतर:- ऋ घोरदंष्ट्र:- घ घोरनायक:-घ घोरनिस्वना-धों घोररूपा - उख घोरा-ऋ । : । घाष:-ह घोषा-च घ्राणी-ट टा: (अ:) 1 काग स ॥ ङ ॥ ङराट्-ङ ङनामा-य अर्थ ॥ च ॥ चकरः - श चक्रम् - इल चक्रपाणिः - आउ । क्लीं चक्रवालुकः-ख For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शब्द चक्रबालुका- ख चक्रभृत् - अउ | क्लीं चक्राधार:-हुँ चक्रिणी-च चक्रिबीजम् - द चक्री - आउक क्लीं चक्षुः - वोषट् चक्षुषः - (अं) चञ्चल:- झटाया यँ चला-ध चञ्चलाक्षी - र :-: (अं) अर्थ घटी - ह्रीं चण्ड : - उ | ऊओ | खानाएँ चण्डभैरवः - औ चण्डभैरवी -ओ चण्ड मुण्डधरः - च चण्डमुण्डा - ए चण्डल:-द चण्डवल्लभः ---उ चण्डवारुण: -- च चण्डविक्रमः --च चण्डा - इ । गाङ चण्डांशु:- म चण्डिका - आओ | : (अ:) . टंटं चण्डिकेश्वर:- ए|ऐ|ऐं चण्डी - इझ : ( अ ) | चाफा चण्डी-हां वषट्
SR No.020799
Book TitleDictionaries Tantrashastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamkumar Rai
PublisherPrachya Prakashan
Publication Year1984
Total Pages180
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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