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शब्द
अर्थ
ईश्वरः - आई । ऊ | ए |ओ। ग
नापामा साह
ईश्वरी - ढाराहीं ईहा-ॐ
॥ उ ॥
उ:-ए।गा साह
उग्र - उाए । (अं) | गाढा स
हा हूं
उग्रकाल:- म
उग्रगन्धिकः - ग्लौं उग्र दर्प :- हूं
उग्रबन्धनम् - उग्रभैरवी - ऐोऍ
-म
उग्रशूलधृक-ध
उग्रशेखरा-ल
उग्रहासिनील
उग्रा-आ। ऋ । कख | मारं
उग्रायुधः - ख
उच्च संहर्ता
उच्चाटनम्-ज
उच्छून कम्-च्छ्रीं
वर्ण
- ख
उब्जयिनी -थ
उब्जयिनीपतिः - थ
उड्ड-त्र
उडुपः-ए। द्रां
उड्डीशेश:- -प उत्कारी-व
उत्तम:- जाट
उत्तरभैरवः - ऐ
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ajataकोष:
शब्द
उदकम् - व वं
उदज:-आ
उदरम्-म उदत्रि:- रा
उदारकेश:-ड
उदितात्मा -ङ
उद्गारिणी-व उद्गारी-व
उद्दाली-ज
उद्देश्य :- ओ
उद्भिज्जरूपिणी-ओ
उद्यानपदेश्वरी-ल
उन्नति:-त
उन्मत्तः - ऐ । स
उन्मत्तभैरवः - लृङ॥ ॐ उन्मत्तभैरवो-ऐ
अर्थ
उन्मादनम् - स
उन्मादिक:-ध
६
उन्मादिनी - ई||छ उपधात्मिका-औ उपवन:-ड
उपलम् -क्र
2
उपल:- क्रु
उपशान्तिकृत - लृ
उपस्थ:-म
उपस्थाना-च
उपहारक:- प
उपान्त्य:--ल
उपान्त्यग:- लु
उन्मत्तो मत्तकः - इाका क्लीं उषा - ञ
उष्मा - र
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उरग:-द
उरोज : - जाज
उरोरुह-ज
उर्वरा - लाल उवंशी - आ
७)
उर्वी - लाल
उल्कामुखी-ओ
शब्द
उपेन्द्र :- आउ । क्लीं
उभयदः - ॐ
उमा - इ|उ | : ( अः ) खादा फ उमाकान्त: - ए| गाण | स
उमापतिः - एाग | साह
उमेश :- आ
उशना :-त्री उषर्बुधः - रा
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उषर्बुधप्रिया - स्वाहा
उष्माद:-ऊ
उष्णरश्मिः - औ | म उष्मवर्ण-र
अर्थ
॥ ऊ ॥
उष्माण :- शोष | 8 | ह
उष्माहृदय: - र
ऊकारान्त-ऋ
ऊरुद्वयात्मक:-त
ऊरुमूलम्-त
ऊर्जम्वा
ऊर्ध्वम्-ए । एँ ऊर्ध्वकेशिनी - उ | ऊ ] गाझ