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SinMahavir Jain AradhanaKendra
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अपने वश में कर लेती है एवं कितनी ही खियाँ वशीकरण विद्या द्वारा पुरुषों को अपने अधीन कर लेती है इसलिये ये योषित' कहलाती हैं। वे अनेक प्रकार की चेष्टाओं द्वारा पुरुषों के मन में कामाग्नि को प्रदीप्त करती हैं इसलिये 'वनिता' कहलाती हैं। कोई श्री पुरुषों के पतन के लिये उन्मत्त की तरह व्यवहार करती है। कोई पुरुषों को अपने पाश में फंसाने के लिये विलास के साथ प्रवृत्ति करती है और कामीजन को झुका लेती है। कोई शब्द पूर्वक श्वासरोगी की तरह अपनी चेष्टा दिखलाती है और इसके द्वारा पुरुषों को स्नेहयुक्त करना चाहती है। कोई अपने पति को भयभीत करने के लिये शत्र की तरह प्रवृत्ति करती है। जैसे दरिद्र पुरुष दुसरे के पैरों पर पड़ता है नसी तरह कोई स्त्री कामातुर होकर पुरुषों के पैरों में गिर जाती है। कोई हास्य उत्पन्न करने के लिए वाणी और नेत्र को विकृत करती है। कोई कटाक्ष तारा अवलोकन करती हुई मूखों को पतित करती है। कोई बिलास के साथ मधुर वचन बोल कर पुरुषों को मोहित करती है। कोई हास्यजनक चेष्टा द्वारा पुरुषों कों हास्य उत्पन्न करती है। कोई मालिशन और लिङ्गमहरण द्वारा पुरुष में अपना प्रेम दिखलाती है। कोई सुरतकाल में अत्यन्त मधुर ध्वनि करती हुई कामियों के कामराम की वृद्धि करती है। कोई स्त्री अपने मोटे स्तन और विशाल नितम्ब आदि दिखा कर दूर रहने वाले पुरुष को भी वश में कर लेती है। स्त्रियाँ अपने गुरु जन को भी धोखा देकर अकर्तव्य में प्रवृत्त कर देती है। वे रुदन वाग पुरुष में स्नेह सत्पन्न करती है तथा अपने पिता के घर में जाने के अवसर पर पुरुष का राग अत्यन्त पढ़ानी हैं। वे अपने दाँतों को दिखा कर पुरुषों को वशीभूत कर लेती हैं। वे रति कलह द्वारा पुरुषों को रमण कगती हैं। वे शृङ्गार प्रधान गीत गाकर साधुओं को भी वश में कर लेती हैं। वे काजल, विकार तथा सजल नेत्रों द्वारा कामी पुरुष को मोहित कर लेती हैं। वह मोहित पुरुष उन स्त्रियों की गुलामी करने लगता है और इसके लिये अपराध का पात्र भी बनता है। खियाँ पैरों द्वारा पृथ्वी पर अक्षर लिखती हैं और स्वस्तिक आदि चिन्ह बनाती है। वनके द्वारा वे पुरुषों को अपने गोपनीय विषयों की |
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