________________
SinMahavir dain AradhanaKendra
www.kobatirtm.org
Acharya.sin.kalinssagarmurnGyanmandir
तन्दुल वेयालिय पइण्णं श्री तन्दुल वैचारिक-प्रकीर्णकम् (शुद्ध मूल पाठ, संस्कृत छाया और भावार्थ )
Sataratamata
प STEESEENESEAGATE
निअरिय जरामरणं, वंदित्ता जिणवरं महावीरं । बुच्छं पयएणयमिणं, तंदुल वेयालियं नाम ॥१॥
छाया-निर्जरित जरा मरणं, बन्दित्वा जिनवरं महावीर । वक्ष्ये प्रकीर्णक मिदं, तन्दुल वैचारिक नाम ।।१।। भावार्थ-जिन्होंने बुढ़ापा और मृत्यु को सर्वथा क्षय कर दिया है तथा जो राग का विजय करने वाले सामान्य केलियों में प्रधान हैं ऐसे श्री भगवान महावीर स्वामी को मन, वचन और काया से वन्दना करके तन्दुल वैचारिक नामक इस प्रकीर्णक को मैं कहूँगा ||१||
सुणह गणिए दह दसा वास सयाउस्स जह विभज॑ति । संकलिए वोगसिए जं चाउं सेसयं होइ ॥२॥
छाया-शगुत गणिते दश दशाः, वर्ष शतायुषो यथा विभज्यन्ते । संकलिते व्युत्कृष्टे, यथायुषः शेष भवति ॥२॥ भावार्थ-जिसकी आयु सौ वर्ष की है, हिसाब करने पर उस मनुष्य की जिस तरह दश अवस्थाएं होती है तथा उन दश ही ।
SE EI OLE ED UBEZEN
गणत गणिते दश दशः, वर्ष शतायो यथा विभज्यन्ते
For Private And Personal Lise Only