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________________ SinMahavir Jain AradhanaKendra www.kobatiram.org Acharya Sur Kassegarmur Gyarmandir भावार्थ-हे भगवन ! बालक के कितने अङ्ग माता के अंश से उत्पन्न माने जाते हैं ? हे गौतम ! बालक के तीन अङ्गा माता के अंश से उत्पन्न माने जाते हैं जैसे कि-मांस, रक्त और मस्तिष्क । कोई कोई मेद और फिरिफस आदि को मस्तुलुग कहते हैं, मस्तिष्क को नहीं । हे भगवन । बालक के कितने अङ्ग पिता के अंश शुक्र से उत्पन्न माने जाते हैं ? हे गौतम ! तीन अङ्ग पिता के अंश से उत्पन्न माने जाते हैं। जैसे कि-हड्डी और हड्डी के मध्य मे रहने वाली मज्जा एवं शिर के बाल, दाढी, मूल, रोम और नख। बाकी के अङ्ग सब माता और पिता दोनों के अंश से मिश्रित माने जाते हैं।६।। जीवेणं भंते ! गभगए समाणे नेरइएस उववमिजा? गोयमा ! अत्थेगहए उववजिआ अत्थेगइए णो उववजिजा से केणटेणं भंते एवं वुच्चइ-जीवेणं गभगए समाणे नेरइएसु अत्थेगइए उववअिजा, अत्थेगइए णो उववज्जिज्जा । गोयमा ! जेणं जीवे गब्भगए समाणे सरणी पंचिंदिए सब्बाहि पज्जत्तीहिं पज्जत्तए वीरियलद्धीए विभंगणाणलद्धीए विउब्बियलद्धीए विउबियलद्धीपत्ते पराणीयं आगयं सुच्चा णिसम्म पएसे निच्छुहइ निच्छुहिता विउब्बियसमुग्घाएणं समोहणइ समोहणित्ता चाउरंगिणी सिएणं सरणाहेइ सण्णाहित्ता पराणीएणं सद्धिं संगाम संगामेइ, सेणं जीवे अत्थकामए रज्जकामए भोगकामए कामकामए, अथर्कखिए रज्जकंखिए भोगकंखिए कामकंखिए अत्थपिवासिए भीग रज्जकाम पिवासिए तश्चिचे तम्मणे तन्लेस्से तयज्वसिए तत्तिव्बज्मवसाणे तयट्ठोवउत्ते तदप्पियकरणे तब्भावणा भाविए एयसि च णं (चे) अंतरंसि कालं करिज्जा रइएसु उववज्जिज्जा । से एएणं अटेणं एवं बुच्चइ जीवेणं गभगए समाणे णेरइएसु अत्थेगइए उववज्जिज्जा अत्थेगइए णो उववज्जिज्जा गोयमा ! ॥ सूत्रम् ७॥ For Private And Personal use only
SR No.020790
Book TitleTandulvaicharik Prakirnakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmbikadutta Oza
PublisherSadhumargi Jain Hitkarini Samstha
Publication Year1950
Total Pages103
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_tandulvaicharik
File Size12 MB
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