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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 379 रखा था। इस सन्दर्भ में 'वार्ता' समाचार एजेन्सी को 1955 के 'गोवा मुक्ति संग्राम' में भी आपने दिय एक साक्षात्कार में हीरालाल जी ने कहा था-'कोटा भाग लिया था और 39 सत्याग्रहियों के जत्थे का नेतृत्व रियासत की सरकार ने 13 अगस्त 1942 को दोपहर किया था। अमर उजाला, मेरठ (दिनांक 10 जुलाई तक हडताल एवं जलस के कार्यक्रम में कोई 1997) को दिये एक साक्षात्कार में आपने इस सन्दर्भ बाधा खडी नहीं की थी, लेकिन 14 अगस्त को किसी म बताया था कि-'हम लोग 11 अगस्त 1955 को राजनीतिक एजेंट के यहाँ पहुँचने की खबर से वह कोटा से देहरादून एक्सप्रेस रेलगाड़ी से रवाना हुए थे। इस मुक्तिदल को यह निर्देश मिला था कि उन्हें 15 घबराई तथा अधिकारियों ने प्रजामंडल के नेता शम्भूदयाल अगस्त को तिरंगा झंडा फहराना है। हमने पुर्तगालियों सक्सेना एवं एडवोकंट बेनीमाधव को 13 अगस्त की की आखों में धूल झोंकते हुए एक सरकारी भवन पर शाम बुलाया और 14 को प्रदर्शन का कार्यक्रम स्थिगित तिरंगा फहराया। इस दौरान हुई गोलाबारी में एक साथी रखने का अनुरोध किया लेकिन अधिकारियों की इस पन्नालाल यादव शहीद हो गया। झंडा फहराने के बाद बात से सहमत नहीं होने पर दोनों को गिरफ्तार कर पुर्तगाली पुलिस और सेना ने हमें गिरफ्तार कर लिया। लिया गया।' (उक्त घटना के विस्तृत विवरण तथा श्री एक बदबूदार कोठरी में बन्दकर यातनायें दी, लेकिन जैन के पूरे साक्षात्कार के लिए देखें-नवभारत टाइम्स, हमें इसका कोई अफसोस नहीं है। देश की खातिर दिनांक 30 जुलाई 1997) सब सहन कर लिया।' ध्यातव्य है कि हीरालाल जी उस समय छात्र श्री जैन गांधी जी के 'हिन्दुस्तान मजदूर सेवक थे और छात्रों में क्रान्ति का शंखनाद फंकना तथा संघ', 'हिन्दी मजदूर सभा', 'हिन्द मजदूर पंचायत', समन्वय का कार्य उनके जिम्मे था। श्री जैन के बड़े 'हिन्द मजदूर किसान पंचायत' आदि मजदूर संगठनों भाई जोरावर सिंह को भी 1942 के उक्त आन्दोलन से जुड़े रहे हैं। आजादी के बाद भी आपने अनेक बार में गिरफ्तार कर लिया गया था। जल यात्रायें की हैं। आ।-(1) रा) म्व) से), पृष्ठ-5-13 (2) नवभारत टाइम्स, 1946 में आपने राजस्थान में सोशलिस्ट पार्टी 30 जुलाई 1997 (3) अमर उजाला. 10 जुलाई 1997 (4) श्री की स्थापना कराई। आजाद हिन्द फौज के बंदियों की र बागमल बांठिया, कोटा द्वारा प्रेपित परिचय रिहाई के लिए कोटा में आन्दोलन का संचालन भी श्री हीरालाल जैन आपने किया था। कोटा रियासत में 'उत्तरदायी शासन' श्री हीरालाल जैन, पुत्र-श्री फूलचंद जैन का की स्थापना हेतु 1947 में गठित विधान निर्मातृ समिति जन्म पनागर, जिला- जबलपुर (म0 प्र0) में 1906 में प्रजामंडल की ओर से मजदूर प्रतिनिधि के रूप में हुआ। पिता के कपड़े के व्यवसाय के कारण में आप मनोनीत हुए थे। आपको उनके साथ कटनी, जबलपुर, छतरपुर आदि 6 अप्रैल 1947 को 'जयहिन्द' नाम से एक स्थानों पर जाना पड़ता था। इसी भ्रमण के कारण आप नेताओं के सम्पर्क में आये, फलतः देश को साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन आपने शुरू किया था 1955 में इस पत्र की जमानत जब्त हो गई थी। लेखन में आजाद कराने की धुन आप पर सवार हो गई। 1930 के जंगल सत्याग्रह में हीरालाल जी ने आपकी गहरी रुचि रही। अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं भाग लिया तथा 15-8-1930 से 3-1-1931 तक में आपकी रचनायें छपी हैं। की सजा आपको जबलपुर जेल में काटनी पड़ी। For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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