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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 302 स्वतंत्रता संग्राम में जैन के कारण आप गिरफ्तार कर लिये गये और 1-2 जुलूस का नेतृत्व करते हुए, स्टेशन की ओर जाने दिन बाद ही छोड़ दिये गये। जयपुर में तोड़-फोड़ पर आपको गिरफ्तार कर दमोह थाने भेज दिया गया। के कामों में आपने सक्रिय भूमिका निभाई थी। दूसरे दिन सागर जेल भेजा गया, सागर से नागपुर आO-(1) रा0 स्व० से0, पृष्ठ-627 जेल भेजा गया और मुकदमा चलाने के लिए पुन: सागर लाया गया। आपको 10 माह 20 दिन के श्री रतनचंद गोटिया (जैन) । कारावास की सजा मिली, जो आपने अमरावती जेल पनागर, जिला- जबलपुर (म0प्र0) के श्री ___ में मासूम अली जेलर के दुष्ट शासन में काटी। रतनचंद गोटिया, पुत्र- श्री नत्थूलाल का जन्म 1920 आ)- (1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-2, पृष्ठ-88 (2) श्री 1 में हआ। विज्ञान स्नातक सन्तोष सिंघई, दमोह द्वारा प्रेषित परिचय गोटिया जी ने हटा, पटेरा, मझौली, हनुमना, दमोह आदि सेठ रतनचंद जैन के राजकीय विद्यालयों में छोटा कद, इकहरा बदन और 'रन्तू सेठ' के शिक्षण कार्य किया। वे अनेक नाम से विख्यात नरसिंहपुर (म0 प्र0) के तत्कालीन वर्षों तक प्राचार्य भी रहे। मालगुजार सेठ रतनचंद, 1936 में आपने माडल पुत्र-श्री छोटेलाल का जन्म हाईस्कूल पर तिरंगा फहराया। 1942 के उनके ननिहाल कटनी, आंदोलन में आप गिरफ्तार हुए और | वर्ष 5 माह जिला- जबलपुर (म0प्र0) में जेल में रहे। 1973 में आपका स्वर्गवास हो गया। नाना श्री डेवड़िया दमड़ी लाल आO- (1) म0 प्र0 स्व0 सै०, भाग-1, पृष्ठ-95 के घर 25-1-1913 में (2) पुत्री सौ0 विमला जैन, नागपुर द्वारा प्रेषित परिचय। (3) 40 | हुआ। सेठ रतनचंद का मन जै() इ), पृष्ठ-522 अपने पैतृक कार्य खेती-किसानी में न लगा और वे सिंघई रतनचंद जैन स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। अनेक आमसभाओं में दमोह (म0प्र0) जिले में 'शान्ति युवक दल' । भाग लिया, असहयोग आन्दोलन में सक्रिय भूमिका का गठन करने वाले सिंघई रतनचंद जैन का कुटुम्ब निभायी और जेल यात्रा की। ठाकुर रुद्रप्रताप सिंह, राष्ट्रीय सेवा में अग्रणी रहा है। आपके पिता सि) श्यामसुन्दर मुशरान, डेवड़िया रतनचंद, चौधरी नेतराज गुलाबचंद अनेक सामाजिक संस्थाओं के संचालक सिंह आदि के विचारों से आप प्रभावित रहे। सेठ जी रह। इनका मूल निवास बांदकपर था और बनवार में अनक बार जेल गये और आन्दोलन में पर्ण रूपेण मालगुजारी थी। रतनचंद जी का जन्म 1918 में हुआ । तन-मन-धन से भाग लिया। आप जबलपर तथा नरसिंहपर जेल में अनेक बार बंदी रहे। स्वतंत्रता आपने माध्यमिक तक शिक्षा ग्रहण की। आपके पिता सि0 गुलाबचंद और भाई शिव प्रसाद जी भी जेल जा चुके हैं। प्राप्ति के बाद आपकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो हो गई, क्योंकि अंग्रेजी सरकार ने आपकी सारी संपत्ति सि0 रतनचंद का राजनैतिक जीवन 1939 में त्रिपुरी कांग्रेस अधिवेशन में स्वयंसेवक बनकर कार्य 1942 में ही जब्त कर ली थी। सम्प्रति आप मूक सेनानी के रूप में जीवन यापन कर रहे हैं। करने से प्रारम्भ हुआ। 11 अगस्त 1942 को मधुर आ) (1) श्री मुकेश जैन एवं श्री सुरेन्द्र जैन नरसिंहपुर और ओजस्वी गायक श्री राजाराम शुक्ल को लेने, टोपित पनि For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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