SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 283
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 214 • स्वतंत्रता संग्राम में जैन बालक का नाम पदम कुमार लाल जैन प्रमुख थे। इन सबके साथ श्री पदम कुमार रख दिया। पदम कुमार का जैन पैदल ही सागर से भापेल, जैसीनगर, वांसा, राजनैतिक जीवन बालकाल राहतगढ़, सीहोरा, नरयावली, जरुआखेड़ा, खुरई, बीना, से ही प्रारम्भ हो चुका था। मालथौन, खिमलासा, बांदरी आदि होते हुए सागर आपके पिता कांग्रेस के वापिस आये। इस प्रकार लगभग 150 मील पैदल सक्रिय कार्यकर्ता थे। वे भ्रमण किया व जनता में सभाएं कर अंग्रेजों को 1932 से ही जिला कांग्रेस मदद न करने हेतु जनता में प्रचार किया। कमटी के कोषाध्यक्ष रहे। 1930--32 में जब विदेशी 8 जलाई 1941 को श्री जैन को गिरफ्तार किया कपड़े का बहिष्कार प्रारंभ हुआ उस समय उनकी गया तथा 2 माह की सजा व 20/- रु0 जुर्माना किया कपड़े की दुकान थी। गया। उन्हें जेल में बी श्रेणी में रखा गया। 11-7-41 उसी समय से पूरनचंद जी ने आजीवन विदेशी को उन्हें नागपुर जेल स्थानांतरित कर दिया गया। जेल कपड़े न बेचने की प्रतिज्ञा की। इसके परिणामस्वरूप में अ श्रेणी व ब श्रेणी साथ-साथ थी। प्रान्त के सभी दुकान का कारोबार बंद सा हो गया और लगभग पचास चोटी के नेता वहां थे। सागर के श्री स्वामी कृष्णानंद, हजार रुपये की हानि उठानी पड़ी। श्री कृष्ण सेलंट आदि कई लोग वहां थे। जून 1995 में हम श्री जैन के गांधी बार्ड, 1942 के आन्दोलन में लक्ष्मीबाई के चौपड़ा सागर स्थित आवास पर उनसे मिले। आन्दोलन में भाग से 100 व्यक्तियों का जुलस इनके नेतृत्व में निकाला लेने के सम्बन्ध में आपने विस्तार से चर्चा की। आ0 गया। इनके साथ बाबूलाल तिवारी, सुरेश चद सिंघई दी), पृष्ठ-1। पर भी विस्तार से आपका परिचय दिया एवं सेठ डालचंद (पूर्व सांसद) थे। जलस पुलिस नाकों गया है। से बचता हुआ लगभग डेढ़ घंटा बाद कटरा मोटर स्टेण्ड 1940 में महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ पहुंचा, वहां मंच बनाकर सभा की। आधे भाषण के सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू कर दिया था। अन्य दौरान पुलिस लगभग तीन लारियों में जवानों को भरकर जिलों से सत्याग्रही सागर होते हुए देहली की ओर आ पहुंची। सर्वप्रथम श्री पदमकुमार को गिरफ्तार किया जाते थे। उन सत्याग्रहियों को देखकर श्री जैन का गया। उनके गिरफ्तार होते ही दूसरे भाषण देने आने इस आंदोलन में कूदने का मन हो रहा था। श्री जैन लगे और गिरफ्तार होते गये। ने अपनी इच्छा तत्कालीन जिला कांग्रेस अध्यक्ष इसके बाद पुलिस ने लाठी चार्ज करके बाकी स्वामी कृष्णानंद जी से जाहिर की, स्वामी जी ने जनता को वहां से हटने के लिये बाध्य किया। डालचंद कहा कि 'अभी तुम्हारी उमर बहुत छोटी है और इस जी को अवस्थी इंसपेक्टर ने रास्ते में ही गाड़ी से उतार आंदोलन में वही भाग ले सकता है जिसे पूज्य गांधी दिया। बाकी तीनों को पुलिस सिटी कोतवाली ले गई, जी इजाजत देते हैं। फिर भी तुम्हारी लगन देखकर जहां रात भर इन्हें हवालात में बंद करके रखा गया। तुम्हें देहातों में जाकर रचनात्मक कार्य करने की सुबह तीनों को जिला पुलिस कप्तान के समक्ष पेश इजाजत देता हूँ।' बस फिर क्या था। उन्होंने कुछ किया गया। पुलिस कप्तान एक अंग्रेज था 'आइंदा इस साथियों को इकट्ठा किया, जिनमें सिंघई स्वरूप तरह की हरकत न करने की जमानत देने पर छोड़ चंद, राधेलाल समैया, नारायण राव हार्डीकर, मिठू देने को कहा। इन तीनों ने कहा-पुनः इस प्रकार की For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy