SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 282
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir . प्रथम खण्ड 213 में रहकर आपने अध्ययन किया। 1912 में ग्राम भिटौरा टीकमगढ़ के नेता श्री लालाराम वाजपेयी, श्री में इमदादी स्कूल में अध्यापन कार्य किया। 1913 में श्यामलाल साहू, श्री चतुर्भुज पाठक श्री नारायण दास अपनी जन्म भूमि बंका पहाड़ी में लौट गये और खरे, श्री लक्ष्मीनारायण नायक आदि से सम्पर्क होने 1916-17 में राज्य की नौकरी कोठादारी के पद पर के कारण आपने अपने घर में ही कांग्रेस का दफ्तर रहकर की। बना लिया था। 1940 में बंगापहाड़ी के शासक ने ___गाँधी जी के उपदेशों से प्रभावित होकर 1927 आपको पीटा तथा घायल अवस्था में चुम्बक में पैर में आपने राज्य की कोठादारी से त्यागपत्र दे दिया और देकर एक माह की सजा व 20/- रु0 जुर्माना किया। देश व जनता की सेवा में लग गये। 1928 से राज्य 1941 में बंकापहाड़ी के शासक ने भुमकलाल कामदार की नीतियों तथा अत्याचारों का विरोध करने लगे. से, इनके घर कांग्रेस दफ्तर से, कागजात जब्त कराये। आन्दोलन किया, 14 किसानों को लेकर 1929 में 1942 में रामदीन चौकीदार से धोखा देकर राजा ने पोलीटिकल एजेण्ट नौगाँव के पास जाकर राज्य के आपको बुलाया और कचहरी में हाथ पैर बंधवाकर अत्याचारों तथा नीतियों का दिग्दर्शन कराया और किसानों खूब पिटाई कराई, खून से लथपथ होने पर बेहोशी को पट्टे दिलाने तथा बेगार बन्द करने के लिए राजा की हालत में छोड़ दिया गया। को आदेश दिलाये। 1920 में आप अपनी पत्नी सहित आO-(1) वि) स्व० स) इ0, पृ0 233-235 एवं अन्य झांसी आ गये और श्री आत्माराम खेर, श्री गोविन्द अनेक पृष्ठ खेर की कांग्रेस के सदस्य बने। 1930 में मऊरानीपुर आन्दोलन में आपने भाग लिया। 1931 में आप रहली, जिला-सागर (म0प्र0) निवासी श्री ललितपुर गये, वहाँ आन्दोलन में शामिल हुए व पंचमलाल बैसाखिया, पुत्र-श्री मोतीलाल ने 1932 के सत्याग्रह किया। वारडोरी सत्याग्रह में जुलूस निकालने आन्दोलन में पांच माह का कारावास तथा 50/-70 पर गिरफ्तार हुए और 3 माह की सजा पाई। अस्वस्थता का अर्थदण्ड भोगा। 1958 में आपका स्वर्गवास हो गया। के कारण समयावधि से पूर्व ही जेल से छोड़ दिया आ0-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-2, पृष्ठ-41 गया। चंदनसिंह व नन्दन शर्मा के साथ धरना देने (2) आ0 दी) 40-50 पर संयुक्त मजिस्ट्रेट द्वारा 15 वेंतो की पिटाई हुई। पुनः अंग्रेज सुप्रिंटेण्डेण्ट द्वारा गिरफ्तार हुए और 29-1-31 श्री पंचमसिंह जैन को 6 माह की कैद व 50 रु0 जुर्माना की सजा हुई। एत्मादपुर (आगरा) उ0प्र0 के निकट 'रटना के बास' नामक ग्राम के निवासी श्री पंचमसिंह जैन ने जेल से छूटकर आप पुनः बंकापहाडी गये। 1942 के आन्दोलन में सक्रिय हिस्सा लिया तथा एक 1934 से 1937 तक आपने रियासतों में बेगार प्रथा वर्ष की सजा भोगी। आपने क्षेत्रीय जनता को आन्दोलन बन्द कराने हेतु आंदोलन चलाया। राज्य से कई प्रकार के लिए संगठित करने में महती भूमिका निभाई थी। के दबाव आये, अत्याचार किये गये और लाठीचार्ज आ) (1) प० इ०, पृष्ठ-140 (2) श्री महावीर प्रसाद किया गया, बलवानसिंह तथा जैपालसिंह आदि साथियों जैन द्वारा प्रेषित परिचय (स्मारिका, पृष्ठ-92) (3) गो) अ0 ग्र0, के साथ पाशविक व्यवहार किया गया और राज्य से पृ0 222-223 बाहर निकलवाने के आदेश पोलीटिकल एजेण्ट से श्री पदमकमार जैन कराये गये। इन सभी की जमीनें जब्त कर ली गईं। 19 नवम्बर 1924 को सागर निवासी श्री पूरन फिर भी आप नहीं झुके। चंद जैन के आंगन में एक फूल खिला, पिता ने इस For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy