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प्रथम खण्ड
179 एवं अन्य पुलिस अत्याचारों को आपने सहा किन्तु का आदर्शपूर्वक निर्वाह किया। राजनीति के साथ ही सबूतों एवं गवाहों के अभाव के कारण अंग्रेज सरकार सामाजिक क्रियाकलापों एवं प्रगति में आपकी दिलचस्पी आपको सजा नहीं दे पाई। इसके बाद भी आपने रही है। आपने पू0 बापू की याद में दारानगर कस्बे जनचेतना का क्रम जारी रखा और आन्दोलन हेतु में 'गांधी मेमोरियल हाई स्कूल' की स्थापना की जो स्वयं-सेवकों की भर्ती, उनका प्रशिक्षण, राजनैतिक आज भी उनकी याद अपने में संजोय इन्टर कालेज शिक्षा, प्रेरणा एवं मार्ग-दर्शन करते हुए 1942 के के रूप में भावी पीढ़ी को शिक्षा देने के कार्य में अनवरत आन्दोलन में पूरी ताकत से हिस्सा लिया और अंग्रेजों प्रगतिशील है। को अच्छा सबक सिखाया। फलस्वरूप आप गिरफ्तार स्वतंत्रता के बाद आपने कोई राजनैतिक पद हुए और 18 माह की कठोर सजा और जुर्माना सहित स्वीकार नहीं किया। आपकी आदर्शवादिता अनुकरणीय जेल गए, जहाँ 17 दिनों का अनशन करके आवश्यक है। आपका निधन णमोकार महामंत्र का जाप करते मांगों की पूर्ति कराई। 1943 में जेल से छूटते ही पुनः हुए 18-3-1974 को हुआ। आन्दोलन में संघर्षरत हो गए जिसके परिणामस्वरूप । आ0- (1) स्वतंत्रता संग्राम में इलाहाबाद, स्मारिका, सूची दि) 6-8-43 को पुन: गिरफ्तार कर नैनी सेन्टल जेल संख्या-310 (2) श्री मनोज कुमार जैन 'निर्लिप्त', अलीगढ द्वारा
प्रेषित परिचय। में 14 दिनों के लिए नजरबन्द कर दिए गए। वहाँ से छूटने के बाद भी आप स्वतंत्रता प्राप्ति तक हमेशा
डॉ० ताराचंद पांड्या संघर्ष करते रहे।
कोटा (राजस्थान) के डॉ0 ताराचंद पांड्या का ___कासलीवाल जी एकदम सरल, सौम्य, आकर्षक जन्म 15 अप्रैल 1928 को हुआ। आपके पिता का एवं प्रतिभावान व्यक्ति थे। आपकी कार्यप्रणाली से लोग नाम श्री जमनालाल एवं माता का नाम श्रीमती बरबस ही खिचे चले आते थे। राष्ट्र के स्वतंत्रता धापूबाई था। स्वतंत्रता आन्दोलन में 1944-1947 में
आन्दोलन में आपने अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बनाया। आपने भाग लिया एवं जेल यात्रा की। राजस्थान के इलाहाबाद जिला कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष स्वतंत्रता सेनानी होने का गौरव आपको प्राप्त है। पद पर कार्य करते हुए आन्दोलन के बड़े-बड़े नेताओं आo-(1) जै0 स0 50 इ0, पृष्ठ-397 का ध्यान आकर्षित किया। पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल
श्रीमती ताराबाई जैन कासलीवाल बहादुर शास्त्री एवं डा0 कैलाश नाथ काटजू आदि
गर्भवती होने पर भी अपने पति के साथ जेल आपके अन्तरंग मित्रों में थे। आपका दारानगर स्थित जाने वाली श्रीमती ताराबाई जैन महिदपर जिला-उज्जैन आवास हमेशा आन्दोलन-राजनीति का अड्डा हुआ (म0प्र0) के प्रसिद्ध स्वाधीनता सेनानी श्री नेमीचंद करता था। देश के शीर्षस्थ नेतागण भूमिगत होने की जैन कासलीवाल की पत्नी हैं। 1942 के आन्दोलन स्थिति में आपकी मेहमाननवाजी स्वीकार करते थे। में जब श्री जैन को गिरफ्तार किया गया तो पत्नी
आपका पारिवारिक एवं व्यक्तिगत जीवन भी श्रीमती जैन भी साथ जाने के लिए अड़ गईं, उस एकदम सादा एवं सरल था। आप धार्मिक प्रवृत्ति के समय वे गर्भवती थीं। पुलिस स्टेशन पर जब थानेदार व्यक्ति थे। आपके तीन पुत्रों एवं तीन बेटियों का भरा ने श्री जैन को तो जेल में रखना स्वीकार किया किन्तु पूरा परिवार था। जिन सभी को अपने पैरों खडा कर श्रीमती जैन को वापस जाने को कहा तो ताराबाई व शादी- ब्याह करके सभी पारिवारिक जिम्मेदारियों गिरफ्तार होने के लिए थाने में ही अनशन पर बैठ
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