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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 178 स्वतंत्रता संग्राम में जैन श्री ताराचंद जैन में रहने के कारण स्कूलों में आपको प्रवेश नहीं मिला श्री ताराचंद जैन का जन्म ग्राम कंजिया, अतः आगे की शिक्षा से वंचित रह गये। आजादी के तहसील-खुरई, जिला-सागर (म0प्र0) में श्री रामचंद बाद आप टीकमगढ़ (म0 प्र0) में आ गये तब से जैन के यहाँ 1920 में हुआ। वहीं रह रहे हैं। बचपन में ही पिताजी का आ0- (1) म) प्र) स्व0 स0, भाग-2, पृष्ठ-128 स्वर्गवास हो जाने के कारण (2) स्व) प0, (3) र) नी0, पृष्ठ-87 ललितपुर में मामा जी के घर श्री ताराचंद जैन कासलीवाल आपका पालन-पोषण हआ। भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन एवं राजनीति में जब आप प्राथमिक कक्षाओं इलाहाबाद जिले का अपना एक विशेष महत्त्व एवं में ही अध्ययनरत थे तब स्थान रहा है। इस जिले ने 35-36 के विदेशी वस्त्र बहिष्कार आन्दोलन में आपने देश को शीर्षस्थ एवं वरिष्ट भाग लिया। एक उत्साह था, लगन थी। आपने नारे नेता व सिपाही दिए हैं। लगाये, जुलूस निकाले और आम सभायें की। इलाहाबाद शहर से 65 ___1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में आपने भाग किलोमीटर दूर जिले का एक लिया, इस सत्याग्रह के सन्दर्भ में आपने लिखा है प्रमुख कस्बा दारानगर है। जहाँ "गांधी जी का कहना था कि 'जो भी सत्याग्रही जहाँ के लोगों ने स्वतंत्रता आन्दोलन से सत्याग्रह शुरू करें वहाँ से पैदल चलकर -दिल्ली में महत्त्वपूर्ण भमिका निभाकर आन्दोलन को एक पहुँचकर वायसराय भवन के सामने सत्याग्रह करें और राह प्रदान की और कस्बे का नाम रोशन किया। अपनी गिरफ्तारी देवें।' उनमें सबसे ऊपर नाम है श्री ताराचन्द जैन ___ गांधी जी का यह भी कहना था कि -"हर (कासलीवाल) का। सत्याग्रही अपने साथ भोजन के लिए झोला में एक आपका जन्म दि0 17-6-1899 को दारानगर पाव भुने चने एवं एक पाव गुड़ रखे, इससे ज्यादा ग्राम में ही एक प्रतिष्ठित जमींदार परिवार में हुआ। कुछ भी नहीं'। भोपाल से आये अनेक सत्याग्रहियों आपके पिता जी लाला हरसुखराय जैन दारानगर टाउन की गिरफ्तारी ललितपुर में हुई, इससे हमें बहुत बल एरिया के चेयरमैन एवं इलाहाबाद जिला बोर्ड के मिला, हममें भी कुछ करने का उत्साह और बढ़ सदस्य थे। आपको राजनैतिक शिक्षा एवं प्रेरणा अपने गया।" पिता जी से ही प्राप्त हुई। स्वतंत्रता आन्दोलन से पूर्व 1942 के आन्दोलन के समय आपकी उम्र आप अवध की एक रियासत के दीवान के पद पर लगभग 22 वर्ष थी। 12 अगस्त 42 को आपके ग्रुप कार्यरत थे। 1928 में बापू (महात्मा गांधी) की ने दफा 144 तोड़कर अहिंसात्मक सत्याग्रह द्वारा अपनी आवाज पर उक्त महत्त्वपूर्ण पद से त्यागपत्र देकर गिरफ्तारियां दीं। अदालत ने आपको एक साल की स्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़ गए कैद व 100 रु0 जुर्माना की सजा दी। जुर्माना न देने 1930 के आन्दोलन में अपनी सक्रिय पर दो माह की सजा आपको और काटनी पड़ी। पहले गतिविधियों के कारण आपको पहली बार गिरफ्तार आप झाँसी जेल में रहे फिर नैनी भेज दिये गये। जेल किया गया और इसी के तहत घर की तलाशी, कुर्की For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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