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[ घ ] पूज्यश्रीना उपाध्याय-श्रीश्रुतसागरगणिविगेरे विद्वान् शिष्यो तेमज उपाध्याय-श्रीशांतिसागरगणि विगैरे अनेक प्रशिष्यो हता।
संशोधनमा अमदावाद डेलाना उपाश्रयना हस्तलिखितज्ञानभंडारनी प्रति उपरथी शासनकंटकोद्धारक गणिवयं श्री हंससागरजी महाराजजीना शिष्य ज्योतिर्विद मुनिवर्य श्री नरेन्द्रसागरजी महाराजजीए स्वहस्ते लखेली अने सुरत श्री जैनानन्दपुस्तकालयनी प्रति उपरथी संशोधित बुक अमोने प्राप्त थइ हती।
तेना आधारे आ ग्रन्थ, सावधानीथी संशोधन करवामां आव्यं छे छतां कोइ भूल रहेली जणाय तो सुज्ञोए सुधारी वांचq ए अभ्यर्थना ।
लि० कलकत्ता, कार्तिक सुदी पंचमी संशोधक
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